देश के पहले ‘इंटरनेट गुरु’ थे Shammi Kapoor, जुदा अंदाज और लाजवाब किरदार बना पहचान
Shammi Kapoor Birth Anniversary Special: याहू....चाहे कोई मुझे जंगली कहे...यह गाना सुनने के बाद सबसे पहले जेहन में शम्मी कपूर का नाम आता है। उनके करियर में शायद ही कोई ऐसा गाना हो जिसमें उनका तेज तर्रार व्यक्तित्व और ऊर्जा न झलकी हो। उस दौर में उनके गानों और फिल्मों के लोग बहुत शौकीन हुआ करते थे। ये फिल्में आज भी शौक से देखी जाती हैं। दरअसल आज दिग्गज अभिनेता शम्मी कपूर की बर्थ एनिवर्सरी है, तो चलिए इस खास मौके पर उनके बारे में कुछ बताते हैं।
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उपलब्धियां
शम्मी कपूर ने हिंदी सिनेमा में लंबे समय तक काम किया। उन्होंने अपने करियर के दौरान दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणियों में जीत हासिल करते हुए अपनी काबिलियत का दुनिया के सामने लोहा मनवाया। 1967 में आई ब्रह्मचारी और 1982 की विधाता के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए भी शम्मी कपूर को सम्मानित किया गया।
बदली हीरो की छवि
अपने करियर के दौरान अपनी तेजतर्रार व्यक्तित्व और शम्मी जादू से प्रभावित गीतों के साथ एक बड़ी फैन फॉलोइंग बना ली थी। अभिनेता शम्मी कपूर निस्संदेह, बॉलीवुड के गेमचेंजर थे क्योंकि उन्होंने 1960 के दशक में पारंपरिक हीरो की छवि को बदल दिया था और लोगों के दिलों पर राज किया।
इंटरनेट गुरु
शायद यह बात कम ही लोग जानते हैं कि शम्मी कपूर एक बेहतरीन हीरो होने के साथ-साथ टेक्नोलॉजी फ्रीक भी थे। साल 1988, जब देश में शायद ही किसी के पास कंप्यूटर रहा हो, तब भी वो पर्सनल कंप्यूटर इस्तेमाल करते थे। जाहिर है, ये वो दौर था जब पर्सनल कंप्यूटर नाम की किसी चीज से लोग अनजान थे। शम्मीजी भारत में कम्प्यूटर और इंटरनेट के घरेलू उपयोग को बढ़ावा देने वाले पहले शख्स थे, इसीलिए उन्हें भारत का पहला इंटरनेट गुरू या साइबरमैन कहाजा ता है।
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