फिल्म में 'मुस्लिम विलेन' की जरूरत क्यों पड़ी?
फिल्म में खून खराबे के साथ-साथा वायलेंस दिखाया गया और अब तीसरा विरोध हो रहा है फिल्म में 'मुस्लिम विलेन' को लेकर। जी हां... फिल्म में बॉबी देओल एक 'साइलेंट विलेन' के किरदार में नज़र आ रहे हैं, जिसका नाम 'अबरार हक' है। फिल्म में दो गुटों को दिखाया गया है, जिसमें से एक मुस्लिम हैं और दूसरा सिख, लेकिन फिल्म में 'मुस्लिम विलेन' की जरूरत क्यों पड़ी? इसके बारे में सवाल किए जा रहे हैं। क्या इस फिल्म को महिला विरोधी और मुस्लिम विलेन के बिना नहीं बनाया जा सकता था? चलिए देखते हैं इनके बिना फिल्म की कहानी क्या हो सकती थी?पहले भी बन चुकी हैं Animal जैसी फिल्में
महिला विरोधी, इस्लामोफोबिया और वायलेंस से भरे सीन्स के बिना यह फिल्म बदले पर आधारित है, जो चचेरे भाइयों के बीच झगड़े को दिखाती है। यह कोई पहली फिल्म नहीं, जिसमें बदले की भावना और चचेरे भाइयों के बीच झगड़े को दिखाती है। इससे पहले भी इस कंटेंट पर कई फिल्में बन चुकी हैं, जिनमें सबसे पहले प्रकाश झा (Prakash Jha) की साल 2010 में आई 'राजनीति' में भी दो भाइयों के बीच के झगड़े को आसान सी कहानी के तौर पर दिखाया गया है। इसके अलावा जिमी शेरगिल (Jimmy Shergill) की साल 2015 में आई पंजाबी फिल्म 'शरीक' में भी चचेरे भाइयों के बीच झगड़े को एक सहज कहानी के तौर पर पेश किया गया है। यह भी पढ़ें: Fighter से Pushpa 2 तक… ये छह बड़ी फिल्में साल 2024 में सिनेमाघरों में मचाएंगी तबाहीसाउथ में भी इस बेस पर बन चुकी हैं सिपंल फिल्में
हालांकि, जिस तरह का एक्शन और कहानी रणबीर और बॉबी की फिल्म 'एनिमल' में दिखाया गया है वो बहुत अलग है। इसका सीधा उदाहरण हम यह भी ले सकते हैं कि साल 1992 में आई तमिल फिल्म 'थेवर मगन' का हिंदी रीमेक थी साल 1997 में आई अनिल कपूर (Anil Kapoor) की 'विरासत', जिसमें सेम ही स्टोरी बेस था। चचेरे भाइयों के बीच वर्चस्व की लड़ाई, जिसको सहजता के साथ दर्शकों के सामने रखा गया था और फिल्म हिट हुई थी। खास बात यह है कि 'विरासत' में बेटे का किरदार अनिल कपूर ने निभाया था, जो 'एनिमल' में पिता के किरदार में नज़र आ रहे हैं। ऐसे में 'एनिमल' में भी दो भाइयों के बीच की लड़ाई में 'महिला विरोधी' कंटेंट और 'मुस्लिम विलेन' की एंट्री की ज्यादा जरूरत नहीं थी, जिसको लेकर फिल्म का विरोध किया जा रहा है।