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Rakesh Bedi Interview: ‘धुरंधर’ को लेकर बोले- ‘फिल्मों का स्वयंवर तोड़ेगी’, 160 दिनों में शूट हुई थी मूवी | Exclusive

Rakesh Bedi On Dhurandhar Movie: रणवीर सिंह की फिल्म 'धुरंधर' को 5 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा. इसी बीच राकेश बेदी ने फिल्म में काम करने का अपना एक्सपीरियंस साझा किया है. उन्होंने News24 से खास बातचीत की है.

'धुरंधर' एक्टर राकेश बेदी का इंटरव्यू.

Dhurandhar Actor Rakesh Bedi Interview: रणवीर सिंह पिछले कुछ समय से फिल्म 'धुरंधर' की रिलीज को लेकर चर्चा में हैं, जिसकी रिलीज का इंतजार 5 दिसंबर को खत्म होने वाला है. फिल्म का ट्रेलर पहले ही जारी किया जा चुका है. इसमें रणवीर से लेकर संजय दत्त, आर माधवन, अक्षय खन्ना और अर्जुन रामपाल जैसे कलाकार अहम रोल में हैं. वहीं, फिल्म में एक्टर राकेश बेदी भी हैं, जिन्होंने पाकिस्तानी राजनेता का रोल प्ले किया है. ऐसे में अब इसकी रिलीज के बाद अभिनेता ने News24 के एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट राहुल यादव से एक्सक्लूसिव बात की. उन्होंने शूटिंग से लेकर एक्सपीरियंस तक काफी कुछ बताया. तो चलिए बताते हैं इस बातचीत का एक छोटा सा अंश…

'धुरंधर' में आपका रोल कैसा है?

मैं इसमें एक पाकिस्तानी पॉलिटिशियन बना हूं. जैसा कि सभी देशों में दिखाया जाता है कि कैसे सरकार पावर में रहती है. ये उसी तरह का किरदार है, जो अपनी पावर का इस्तेमाल करना जानता है. जैसे अपने यहां स्लम धारावी है. वहां गुंडा गर्दी से लेकर धंधा, डॉन, राजनेता, बिजनेस सबकुछ पनपता है. मेरा किरदार इसी तरह का एक पॉलिटिकल सुप्रीमो है. उसको पता है कि कौन सा पत्ता कब खेलना है. मेरा एक पावरफुल रोल है. मेरा लगभग सबके साथ रोल है लेकिन आर माधवन के साथ नहीं है. क्योंकि वह इंडिया में होते हैं.

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आर माधवन को सेट पर पहचान पाए थे या नहीं?

मेरे साथ तो ये हुआ था कि जब मैंने आर माधवन को पहली बार गेटअप में देखा था तो मैंने कहा था कि ये आदमी अजित डोभाल जैसा दिखता है ये कौन है? मुझे एक सेकेंड के लिए तो वही लगे थे लेकिन लोगों ने कहा कि वो नहीं हैं ये आर माधवन हैं. मतलब एक सेकेंड पहचान में नहीं आए. क्या होता है कि कोई भी इंसान फर्स्ट और सेकेंड लुक में पहचान में नहीं आता है. फिर जब गौर से देखा जाता है तो वो इंसान पहचान में आ जाता है. इसका श्रेय हमारे मेकअप टीम को जाता है. उन्होंने फिल्म 'धुरंधर' के लिए सच में बड़ी मेहनत की. इस फिल्म की टीम अपने काम में मारथी थे.

फिल्म का नाम धुरंधर क्यों?

देखिए…धुरंधर का मतलब क्या होता है? इसका मतलब है इनविजिबल. यानी कि जिसे आप हरा नहीं सकते. अपने काम में मास्टर, अपने काम में एक्सपर्ट और वो किसी से हारता नहीं है वो होता है धुरंधर. धुरंधर वो होता है, जिसे बुरा काम करना आता है लेकिन उसे सर्वाइव करना आता है. उसे अगर किसी को मारना पड़ेगा तो वो मार देगा. उसे कुछ भी करना पड़े वो करेगा लेकिन अंत में वो विनर बनकर आएगा.

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'धुरंधर' की खासियत क्या है?

क्या है ना कि एक सिनेमा जो हमारा है ना वो एक टाइम पर आकर सो जाता है. इसका मतलब है कि हम 5-7 साल एक ही जैसी फिल्में बनाते हैं. हम सिर्फ स्टार कास्ट देखते हैं. इसमें कुछ फिल्में ज्यादा चलती हैं कुछ कम रहती हैं. लेकिन वो कुछ बड़ा कीर्तिमान स्थापित नहीं कर पाती हैं. अगर पिछले 6-7 साल मुड़कर देखें तो ये आपको फिल्मों का स्वयंवर नजर आएगी. शोले जैसा कीर्तिमान स्थापित नहीं हुआ पिछले कुछ सालों में. तब भी लव स्टोरी और डाकू वाली फिल्में बनती थीं. तब भी रेलवे पर डकैती होती थी लेकिन इस लेवल की चीजें नहीं होती थीं, जो शोले में रहा. 'धुरंधर' जैसी फिल्में लोगों को जगाती हैं. इसमें काफी कुछ अलग देखने के लिए मिलेगा, जो फिल्मों के स्वयंवर को तोड़ेगी.

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'धुरंधर' की शूटिंग के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी?

मेरे लिए 'धुरंधर' की शूटिंग के दौरान जो सबसे ज्यादा शॉकिंग प्वॉइंट था वो इसका सेट था. दरअसल, क्या है कि जैसे हमारे यहां धारावी स्लम है वैसे ही पाकिस्तान में एक बहुत बड़ा जगह है, जहां पर राजनीति, बिजनेस, गुंडा गर्दी सब कुछ हो रहा है तो मेकर्स ने उसका सेट बैंकॉक में लगाया. मैं देखकर इसे हैरान रह गया. जब मैं सेट पर एक्टर पहले दिन जाता है तो वो डायरेक्टर से मिलता है रोल के बारे में कहानी के बारे में बात करता है. लेकिन मैं दो घंटे तक तो सेट ही देखता रह गया. ये एक स्मॉल टाउन के जैसे था. दुकाने देख रहा था. उस ऑथेंटिसिटी को देखा. किसी को वहां छोड़ दो तो वो कहेगा नहीं कि वो बैंकॉक में है वो कहेगा कि पाकिस्तान में हूं.

'धुरंधर' की शूटिंग में कितना वक्त लगा?

'धुरंधर' की शूटिंग को लेकर जहां तक मुझे पता है कि जब हम शुरू हुए तो इसके बाद रुके नहीं. हमने करीब 150-160 दिन में इसकी शूटिंग को पूरा कर लिया था और जहां तक मेरा सवाल है तो मैंने अपने रोल के लिए 40 दिन के करीब शूटिंग की, क्योंकि फिल्म में एक्शन बहुत है. एक्शन में ही ज्यादा टाइम चले जाते थे.

रणवीर सिंह ने अपने किरदार के लिए कितनी मेहनत की?

देखो…जब आप 80-90s की फिल्मों को देखेंगे तो आपने भी सुना होगा कि गोविंदा एक टाइम पर 40 फिल्में कर रहे थे. या संजय दत्त की 12 फिल्में चल रही थीं. अपनी लाइफ में मैंने भी एक टाइम पर 4-4 फिल्में की एक दिन में. दिन में हम चार-चार शिफ्ट करते थे कई बार. लेकिन अब वो जमाना नहीं रहा. अब रणवीर सिंह ने जब अपने बाल बढ़ाए हैं तो रियल में बढ़ाए हैं. वो भी दो साल के लिए बढ़ाए हैं. वो एक ही फिल्म कर रहे हैं. जब आप एक ही फिल्म करते हैं तो आप उसकी हर चीज से अटैच होते हैं. आप स्क्रिप्ट, सीन, म्यूजिक और हर चीज से जुड़े हैं. उन्होंने स्पाई बनने के लिए सेशन लिए लेकिन वो कहां हुए इसकी जानकारी नहीं है. उनका रोल एकदम खास किस्म का है. ये ऑर्डिनरी रोल नहीं है.


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