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‘ये मुझे दर्द देता है’, कैंसर से जंग के बीच ऐसा क्यों बोलीं Hina Khan?

Hina Khan: हिना खान ने कैंसर ट्रीटमेंट के बीच अब अपना दर्द बयां किया है। एक्ट्रेस ने किसी बात को लेकर अपनी आवाज उठाई है और लोगों को जागरूक किया है।

Hina Khan File Photo
Hina Khan: हिना खान का लेटेस्ट पोस्ट लोगों का अटेंशन ग्रैब कर रहा है। एक्ट्रेस ने कुछ ऐसा कहा है, जिसके बाद फैंस भी सोचने पर मजबूर हो गए हैं। कैंसर से जंग के बीच अब हिना ने किसी चीज को लेकर नाराजगी जताई है। एक्ट्रेस ने एक वीडियो शेयर किया है और उसके साथ एक लम्बा-चौड़ा नोट भी लिखा है। हिना ने अपनी परेशानी का जिक्र करते हुए कहा है कि 'ये मुझे परेशान करता है और दर्द देता है।' अब वो क्या है, जो हिना को दर्द दे रहा है? चलिए जानते हैं।

हिना खान को क्यों हो रहा दर्द?

हिना खान ने अब एक वीडियो अपने इंस्टाग्राम हैंडल से पोस्ट किया है, जो सोसाइटी को खास मैसेज दे रहा है। इस वीडियो को हिना खान एक बच्चे के साथ बात करते हुए रिकॉर्ड कर रही हैं। ये बच्चा हिना से बात कर रहा है, तभी एक्ट्रेस उसे हिंदी में अपनी बात कहने के लिए कहती हैं। वो कोशिश करता है और हिना उसके एक्सेंट पर हंसती हैं और उसे समझाती हैं कि उसे अपनी मातृभाषा बोलनी आनी चाहिए। इस वीडियो को शेयर करते हुए हिना ने सभी लोगों को खास सीख दी है।

हिना खान ने की शिकायत

हिना खान ने नोट में लिखा, 'मुझे अपने परिवार के बच्चों पर गर्व है कि उन्होंने हिंदी में बोलने का कॉन्शियस एफर्ट किया (कम से कम वे कोशिश तो कर रहे हैं)। इसका क्रेडिट उनके पेरेंट्स को जाता है। अपनी मातृभाषा जानना बहुत अच्छा है। ये मेरा सबसे बड़ा फ्लेक्स है और मुझे खुद पर बहुत गर्व है कि मैं अपनी मातृभाषा फ्लुएंटली जानती हूं। आजकल बच्चों को देखकर मुझे परेशानी होती है और दुख भी होता है। वो ये भी नहीं जानते कि अपनी भाषा में एक शब्द कैसे बोला जाए और पेरेंट्स के रूप में हम इस फैक्ट पर गर्व करते हैं कि हमारा बच्चा हमारी अपनी भाषाओं में बहुत कम बात करता है या लगभग कोई भी भाषा नहीं बोलता। क्या ये दुख की बात नहीं है? यह भी पढ़ें: जब 20 साल छोटी एक्ट्रेस को दिल दे बैठे Nana Patekar, ब्रेकअप के बाद खुलेआम बोले- ‘मुझे याद आती है…’

मातृभाषा को लेकर हिना खान ने दिया ज्ञान

हिना खान ने आगे लिखा, 'ऐसी भाषा सीखना जो पूरी दुनिया में कम्यूनिकेट करने में मदद करती है, बहुत अच्छी बात है और इसकी सराहना की जानी चाहिए, लेकिन हम इससे इतने प्रभावित कैसे हो सकते हैं कि हम भूलने लगे हैं कि हम कौन हैं? आजकल, माता-पिता ने अपने बच्चों को इस हद तक अंग्रेजी सिखा दी है कि जब ये छोटे बच्चे, यहां तक ​​​​कि एडल्ट्स अपनी मातृभाषा नहीं जानते हैं, अपनी भाषा में बात करने की कोशिश करते हैं तो ये विदेशी लगती है, एक माता-पिता के लिए इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है। दुखद.. मैं जानती हूं, यहां तक कि मैं भी इसे अंग्रेजी में लिख रही हूं, लेकिन पॉइंट यही है, कोई भी जिस भाषा में कम्फर्टेबल हो, उसमें कम्यूनिकेट करना चुन सकता है, पर अपनी मातृभाषा तो बहुत अच्छे से आनी ही चाहिए.. अपनी जड़ों को कभी न भूलें।'


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