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‘ना हीरो है ना विलेन’, बॉलीवुड ने ठुकराया तो साउथ में मिली पहचान, इंदिरा गांधी भी कर चुकीं एक्टर के लिए पैरवी

Asrani Interesting Facts: बॉलीवुड एक्टर असरानी (Asrani) का 84 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने 20 अक्टूबर को अपनी आखिरी सांस ली. अभिनेता ने 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है.

इंदिरा गांधी और असरानी. (Photo- X)

दिग्गज एक्टर असरानी (Asrani) का 20 अक्टूबर को निधन हो गया है. 84 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनकी मौत से पूरी इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई. बी-टाउन ही नहीं, राजनीति से लेकर क्रिकेट वर्ल्ड तक में सेलेब्स शोक व्यक्त जता रहे हैं. उनका पिछले पांच दशकों से भी बड़ा करियर रहा है. उन्होंने स्क्रीन पर जो किरदार प्ले किया है उसमें काफी गहराई रही. हर कोई उनके अभिनय का मुरीद रहा. एक्टर ने 400 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया. लेकिन उनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं कि उन्हें करियर में बहुत स्ट्रगल करना पड़ा था. दो साल तक काम की तलाश में भटकना भी पड़ा था. इंदिरा गांधी भी उनके लिए पैरवी कर चुकी हैं. चलिए बताते हैं उनके स्ट्रगल के बारे में.

गोवर्धन असरानी राजस्थान के जयपुर से ताल्लुक रखते थे. उनका जन्म 1 जनवरी, 1941 के हुआ था और वह एक साधारण परिवार से थे. उन्होंने जयपुर के सेंट जेवियर्स स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की थी. बाद में राजस्थान कॉलेज से ग्रैजुएशन पूरा किया. पढ़ाई पूरी होने के बाद एक्टर ने रेडियो आर्टिस्ट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की. बाद में फिल्म इंडस्ट्री से ही जुड़ीं मंजू बंसल ईरानी से उनकी शादी हुई. 5 दशक के करियर में उन्होंने 400 से ज्यादा फिल्मों मे काम किया.

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चेहरे की वजह से कर दिया था रिजेक्ट

अपने स्ट्रगल को लेकर असरानी ने एक बार बात भी की थी. उन्होंने इंटरव्यू में बताया था कि इंडस्ट्री के बड़े नाम उन्हें कमर्शियल एक्टर के तौर पर स्वीकार नहीं करते थे. असरानी ने उस समय गुलजार और दिग्गज डायरेक्टर एलवी प्रसाद का भी नाम लिया था. एक्टर ने दावा किया था कि मशहूर डायरेक्टर गुलजार ने उन्हें चेहरे को अजीब बताते हुए रिजेक्ट कर दिया था. वहीं, दिग्गज निर्देशक एलवी प्रसाद ने उन्हें साफ कहा था कि ना तो हीरो लगते हैं और ना ही विलेन. यहां तक कि ये तक कह दिया था कि वह कॉमेडी और रोमांटिक रोल के लायक भी नहीं हैं. असरानी ने खुद एक इंटरव्यू में पूरा वाकया बताया था कि FTII की डिग्री होने के बावजूद उन्हें दो साल तक काम की तलाश में भटकना पड़ा था, पर कोई भी मदद को राजी नहीं हुआ.

इसके साथ ही जब असरानी को बॉलीवुड ने ठुकरा दिया था तो उन्होंने साउथ सिनेमा का रुख किया. जहां उन्हें उनकी प्रतिभा को सराहा गया. हालांकि, बाद में अभिनेता की बॉलीवुड में वापसी हुई. बीआर चोपड़ा ने उन्हें 'निकाह' (1982) में अहम रोल दिया और ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई. एक्टिंग के अलावा असरानी डायरेक्टर के क्षेत्र में भी उन्होंने हाथ आजमाया. उन्होंने 'हम नहीं सुधरेंगे', 'दिल ही तो है' और 'उड़ान' जैसी फिल्में बनाई.

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इंदिरा गांधी ने भी की थी असरानी के लिए पैरवी

असरानी से जुड़ा एक और किस्सा चर्चित रहा. एक्टर ने बताया था कि वह एफटीआईआई की डिग्री लेने के बाद दो साल तक काफी स्ट्रगल किया था. इसी बीच उन्होंने इंदिरा गांधी से शिकायत की थी उन्हें काम नहीं मिल रहा. इसके बाद उन्होंने एक्टर की काम के लिए मदद भी की थी. वह उस समय सूचना एवं प्रसारण मंत्री थीं तो उन्होंने मुंबई आकर प्रोड्यूसर्स से कहा था कि उन्हें काम देना चाहिए. इसके बाद उन्हें काम मिलना शुरू हो गया था. बाद में उन्हें जया भादुड़ी की फिल्म 'गुड्डी' में कास्ट किया गया था. ये फिल्म हिट हुई तो लोगों ने एफटीआईआई को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया था.

गौरतलब है कि असरानी बेहतरीन अभिनेता के साथ ही एक सक्रिय राजनेता भी रहे हैं. साल 2004 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था. उन्होंने लोकसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई थी.

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