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Teacher’s Day 2022: जज्बे को सलाम! स्कूल हुआ बंद तो बैलगाड़ी चलाकर पहुंचा शिक्षक, बच्चों को बांटी किताबें

Teachers Day 2022 Story: देश भर में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers day 2022) मनाया जाता है। इस दिन देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस भी है। उन्हें देश का सबसे महान शिक्षक माना जाता है और उनके द्वारा बताएं गए पदचिन्हों पर आज भी कई शिक्षक चलते हैं […]

बैलगाड़ी वाला शिक्षक
Teachers Day 2022 Story: देश भर में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers day 2022) मनाया जाता है। इस दिन देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस भी है। उन्हें देश का सबसे महान शिक्षक माना जाता है और उनके द्वारा बताएं गए पदचिन्हों पर आज भी कई शिक्षक चलते हैं और छात्रों के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैं। मध्यप्रदेश के एक ऐसे ही शिक्षक हैं नीरज सक्सेना जिनका बच्चों के प्रति समर्पण देखकर हर कोई उन्हें सलाम ठोक रहा है। नीरज मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल्य क्षेत्र सालेगढ़ के शासकीय प्राथमिक शाला में शिक्षक हैं। वे 2020 में कोरोना काल में एक वीडियो के सामने आने के बाद फेमस हुए थे। इस वीडियो में वे बैलगाड़ी पर किताबें ले जाते नज़र आ रहे हैं और छात्रों की पढ़ाई बाधित नहीं हो इसके लिए वे उन्हें इसी पर बैठकर पढ़ाते भी हैं।

खराब रास्ता और स्कूल बंद फिर भी नहीं मानी हार, छात्रों के लिए शिक्षक ने कर दिया ये काम

नीरज बताते हैं कि जब उनकी पोस्टिंग हुई थी तब उनके सभी मित्रों ने ऐसी जगह जाने से उन्हें मना किया था जहां पर ना सड़कें है और ना ही कोई और सुविधा। इसके वावजूद वो गए और आज पूरे क्षेत्र के बच्चे फटाफट अंग्रेजी में बात करते हैं तो और इस सरकारी स्कूल देखकर लगता है की ये किसी प्राइवेट स्कूल से कम कम नहीं है। इस कठिन कार्य के दौरान उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। साल 2020 में पूरे देश में लॉकडाउन लग गया था और स्कूल कॉलेज सब बंद पड़ गए थे लेकिन नीरज ने अपनी ड्यूटी नहीं छोड़ी और एक आईडिया अपनाया। वे रोज़ बैलगाड़ी पर किताबें रखकर बच्चों के घर पर जाते थे और उन्हें गांव के ही बीच में खड़े होकर पढ़ाते भी थे। वहीं गांव तक पहुंचने का पक्का रास्ता भी नहीं था और बारिश में कीचड़ भी हो जाता था लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और कीचड़ में भी बैलगाड़ी को अकेले खींचकर बच्चों को किताबें पहुंचाई।


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