भारत में हर साल यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इस परीक्षा के लिए करीब 10 लाख उम्मीदवार हर साल आवेदन करते हैं, लेकिन उनमें से करीब हजार उम्मीदवार ही इस परीक्षा में सफलता हासिल कर पाते हैं। वहीं लाखों में एक उम्मीदवार ऐसे होते हैं, जो देश की सबसे कठिन परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल कर पाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी उम्मीदवार के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करके IAS ऑफिसर बन गए।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं आईएएस ऑफिसर सुनिल कुमार बर्णवाल की, जो बचपन से ही आईएएस बनना चाहते थे। वे एक होशियार छात्र थे, लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग को बैकअप प्लान के रूप में चुना। उन्होंने अपनी पढ़ाई में शानदार प्रदर्शन किया और तीन गोल्ड मेडल जीते। इसके बाद, उन्होंने गेल (GAIL) कंपनी में नौकरी कर ली। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की।
दूसरे अटेंप्ट में बने IAS
1995 में, उन्होंने अपने पहले प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा का प्रीलिम्स और मेंस परीक्षा पास कर लिया, लेकिन इंटरव्यू में कम अंक आने के कारण फाइनल सेलेक्शन नहीं हो सका। इसके बाद, उन्होंने अपनी कमजोरियों पर काम किया, रणनीति बदली, और नौकरी पूरी मेहनत से तैयारी की। इसी का नतीजा रहा है कि 1996 में, उन्होंने 1417 अंक प्राप्त कर पूरे देश में टॉप किया और आईएएस ऑफिसर बने।
तीन कॉलेजों का इंजीनियरिंग टेस्ट किया क्लियर
सुनिल कुमार बर्णवाल बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा आर.एच.टी.बी. हाई स्कूल, बरारी, भागलपुर से की। इंटर की पढ़ाई के लिए वे हॉस्टल चले गए और इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी की। आईआईटी (IIT) के लिए उनकी उम्र कम थी, इसलिए वे उसमें शामिल नहीं हो सके। लेकिन उन्होंने आईएसएम धनबाद, रुड़की इंजीनियरिंग और बिहार स्टेट इंजीनियरिंग की परीक्षाएं पास कीं। उन्होंने आईएसएम धनबाद से पेट्रोलियम इंजीनियरिंग करने का फैसला किया। उनके पिता बिहार सरकार में कर्मचारी थे और मां एक गृहिणी थीं।
इंजीनियरिंग से सिविल सेवा तक का सफर
इंजीनियरिंग के दौरान, उन्होंने तीन गोल्ड मेडल जीते। छुट्टियों में वे सिविल सेवा परीक्षा के लिए फिजिक्स और मैथ्स की पढ़ाई करते थे। 1993 में इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद, उन्होंने गेल (GAIL) में नौकरी शुरू की। उम्र सीमा के कारण, वे 1995 से पहले सिविल सेवा परीक्षा नहीं दे सकते थे। लेकिन 1995 में, उन्होंने परीक्षा पास कर ली लेकिन इंटरव्यू में असफल हो गए। इसलिए उन्होंने अपनी रणनीति बदलकर, मेहनत से पढ़ाई की और 1996 में आईएएस अधिकारी बने।
अधिकारी बनने के बाद किया मास्टर्स
आईएएस बनने के बाद, उन्होंने 2013-2014 में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी से पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री की। इस दौरान, वे कई नीति-निर्माण सेमिनारों में शामिल हुए। इस कोर्स में सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और सिंगापुर सरकार के मंत्रालयों के साथ ट्रेनिंग शामिल थी।
सरकारी सेवा में दिया भारी योगदान
सुनिल कुमार बर्णवाल ने झारखंड सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।
– जनवरी 2008 – अगस्त 2009: इंस्पेक्टर जनरल (प्रिजन्स), जहां उन्होंने झारखंड की 26 जेलों का मैनेजमेंट किया और सुधार सेवाओं में आईटी तकनीक को लागू किया।
– मार्च 2015 – दिसंबर 2019: सरकार के सचिव, जहां उन्होंने उद्योग, निवेश और खनिज क्षेत्र में सुधार किए।
– फरवरी 2020 – दिसंबर 2020: बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के अतिरिक्त सदस्य रहे।
वर्तमान पद
जून 2023 से, वे भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले, वे दिसंबर 2020 से सितंबर 2023 तक संयुक्त सचिव थे।