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5 साल कैद, न खाना न पानी… UP में लालची नौकरों ने बुजुर्ग को तड़पा-तड़पा कर मारा, बेटी हड्डियों का ढांचा बनी

मृतक के भाई का आरोप है कि जब भी वे लोग मिलने आते थे तो उन्हें मिलने नहीं दिया जाता था. कह दिया जाता था कि वह मिलना नहीं चाहते.

ओम प्रकाश राठौर साल 2015 में रेलवे से रिटायर हो गए थे.

उत्तर प्रदेश से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली एक ऐसी दास्तां सामने आई है, जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाए. महोबा में एक रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी और उनकी मानसिक रूप से कमजोर बेटी को उनके अपने ही घर में पांच साल तक कैद रखा गया. पिता ने भूख से तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया, तो 27 साल की जवान बेटी जिंदा लाश बनकर केवल हड्डियों का ढांचा बन गई. 70 वर्षीय ओम प्रकाश सिंह राठौर ने अपनी और अपनी बेटी की देखरेख के लिए जिन्हें नौकरी पर रखा था, वो ही उनकी जान के दुश्मन बन गए.

इंडिया टुडे ने ओम प्रकाश के भाई अमर सिंह राठौर के हवाले से लिखा है कि उनके भाई साल 2015 में रेलवे से रिटायर हो गए थे. साल 2016 में उनकी बीवी की मौत हो गई थी. इसके बाद वह रश्मि के साथ एक अलग घर में रहने चले गए. वह खाना बनाना नहीं जानते थे. इसलिए उन्होंने अपनी और रश्मि की देखभाल के लिए राम प्रकाश कुशवाहा और उसकी पत्नी राम देवी को काम पर रखा था. इसके बाद कुशवाहा दंपति ने धीरे-धीरे घर पर कब्जा कर लिया. मेरे भाई और भतीजी को ग्राउंड फ्लोर पर कैद कर दिया. जबकि वे खुद ऊपर की मंजिल पर आराम से रहने लगे.

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साथ ही उन्होंने कहा कि ओम प्रकाश और रश्मि को समय पर खाना नहीं दिया गया और ना ही उनकी देखभाल की गई. जब भी परिवार के लोग उनसे मिलने आते थे तो वे लोग बहाना बना देते थे कि वो आपसे नहीं मिलना चाहते. इसके बाद हमें वापस जाना पड़ता था.

अमर सिंह ने बताया कि सोमवार को उनके भाई की मौत की जानकारी मिली थी. उन्होंने कहा कि जब मैं वहां पहुंचा तो वहां के हाल देखकर मैं डर गया और बेसुध हो गया. मेरे भाई ओम प्रकाश का शरीर पूरी तरह सूख चुका था. वहीं, रश्मि एक अंधेरे कमरे में बिना कपड़ों के कंकाल बनी हुई पड़ी थी.

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परिवार के एक अन्य सदस्य के हवाले से लिखा है, जवान लड़की भूख की वजह से 80 साल की बुजुर्ग दिख रही थी. शरीर पर मांस का नामोनिशान नहीं था. वह केवल एक कंकाल बनी हुई थी, जो अभी भी सांस ले रहा था.

उन्होंने आगे कहा कि कुशवाहा और उसकी ने बीवी संपत्ति और बैंक बैलेंस हड़पना चाहते थे.


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