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Success Story: छठीं में हुए फेल, क्रैक की IIT; दोस्त संग मिलकर शुरू की कंपनी और बन गए करोड़पति

Zomato Success Story: छठवीं फेल होने के बाद पढ़ने की जिद ठानी और IIT जैसी कठिन परीक्षा पास कर ली। मगर सफर यहीं नहीं रुका, दोस्त के साथ मिलकर उन्होंने एक कंपनी की नींव रखी और आज उस कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में है। जी हां, हम बात कर रहे हैं जोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल की।

Zomato Success Story: मशहूर फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो का नाम तो आपने जरूर सुना होगा। जोमैटो की एंट्री से फूड इंडस्ट्री में बूम आ गया था। खाना ऑर्डर करने से लेकर डेजर्ट की क्रेविंग होने पर कई लोग जोमैटो का रुख करते हैं। मगर क्या आप जोमैटो की कहानी जानते हैं। जी हां, दो दोस्तों ने मिलकर इस कंपनी की नींव रखी और देखते ही देखते जोमैटो देश की सबसे बड़ी फूड डिलीवरी कंपनी बन गई। 2023 में जोमैटो का टर्नओवर 7,079 करोड़ रुपये था। जो कि मार्च 2024 में 12,114 करोड़ तक पहुंच गया है। तो आइए जानते हैं जोमैटो इस मुकाम तक कैसे पहुंचा?

छठीं फेल दीपिंदर ने पास की IIT

जोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने अपने दोस्त पंकज चड्ढा के साथ मिलकर इस ऐप की शुरुआत की थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाले दीपिंदर पढ़ने में बिल्कुल अच्छे नहीं थे। आलम ये था कि वो 6वीं और 11वीं कक्षा में फेल हो गए थे। 11वीं कक्षा में फेल होने के बाद दीपिंदर पर काफी दबाव बना। आखिर में उन्होंने पढ़कर कुछ बनने का फैसला कर लिया। दीपिंदर ने दिन-रात कड़ी मेहनत करके ना सिर्फ 12वीं की परीक्षा अच्छे नंबर से पास की बल्कि IIT का एग्जाम भी क्रैक कर लिया।

मेन्यू कार्ड से शुरू हुआ सफर

IIT दिल्ली में दखिला लेने के बाद दीपिंदर की मुलाकात पंकज चड्ढा से हुई। कुछ ही समय में दोनों की दोस्ती हो गई। 2006 में IIT की डिग्री हासिल करने के बाद दीपिंदर को 'बेन एंड कंपनी' में नौकरी मिल गई। इस मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने के दौरान दीपिंदर ने नोटिस किया की ऑफिस की कैंटीन में मेन्यू कार्ड देखने के लिए लंबी लाइन लगती है। ऐसे में दीपिंदर ने समय बचाने के लिए मेन्यू कार्ड को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने की सोची। उन्होंने मेन्यू कार्ड को स्कैन किया और ऑनलाइन पोस्ट कर दिया। उनका ये आइडिया लोगों को काफी पसंद आया।

फूडलेट से फूडीबे तक

दीपिंदर यहीं नहीं रुके। उन्होंने फूडलेट नाम की एक बेवसाइट बनाई। इस वेबसाइट पर वो अलग-अलग रेस्टोरेंट्स के मेन्यू कार्ड अपलोड करने लगे। दीपिंदर अपनी पत्नी के साथ दिल्ली के कई रेस्त्रां में गए और वहां के मेन्यू कार्ड को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। हालांकि उन्हें कुछ अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला। ऐसे में दीपिंदर ने अपनी वेबसाइट का नाम बदलकर फूडीबे रख दिया।

फूडीबे हुई पॉपुलर

दीपिंदर ने अपने जिगरी दोस्त पंकज चड्ढा से मदद मांगी। पंकज ने तकनीकि की मदद से फूडीबे वेबसाइट का ट्रैफिक बढ़ाकर तीन गुना कर दिया। ऐसे में दीपिंदर ने पंकज को फूडीबे का को-फाउंडर बना दिया। 2008 तक इस वेबसाइट पर 1400 से ज्यादा रेस्टोरेंट रजिस्टर हो चुके थे। दिल्ली एनसीआर के अलावा मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों के रेस्टोरेंट भी दीपिंदर से संपर्क करके अपने मेन्यू कार्ड अपलोड करवाने लगे।

फूडीबे से जोमैटो तक

दीपिंदर का बिजनेस चल पड़ा था। लिहाजा उन्होंन नौकरी छोड़कर अपना पूरा समय वेबसाइट को देने का फैसला किया। 2010 में इंफोएज के फाउंडर संजीव बिखचंदानी ने इस कंपनी में 1 मिलियन डॉलर का निवेश किया। दीपिंदर को कई अन्य कंपनियों ने भी फंड दिया। हालांकि इसी दौरान ई-कॉमर्स कंपनी ने नाम फूडीबे नाम को लेकर दीपिंदर को नोटिस भेज दिया। दीपिंदर ने कंपनी का नाम फूडीबे से बदलकर जोमैटो कर दिया। कुछ ही समय में जोमैटो ने खाने की होम डिलीवरी भी शुरू कर दी। 2018 में पंकज चड्ढा जोमैटो से अलग हो गए थे। जोमैटो की कुल मार्केट कैपिटल 1.40 करोड़ रुपये है तो वहीं जोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल की नेटवर्थ 2570 करोड़ रुपये है। यह भी पढ़ें- साइकिल पर बेचते थे नमकीन, आज करोड़ों का कारोबार, बिपिन हदवानी कैसे बने बड़े बिजनेसमैन?


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