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Success Story Of Anurag Asati : कभी फीस भरने के नहीं थे पैसे, अब कबाड़ से बन गए करोड़पति

Success Story Of Anurag Asati founder of The Kabadiwala : ऑनलाइन कबाड़ बेचने के लिए आज 'द कबाड़ीवाला' काफी फेमस नाम बन चुका है। अनुराग असाटी ने अपने दोस्त के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की थी। हालांकि इसकी शुरुआत इतनी आसान नहीं रही। शुरुआत के बाद इसे बंद भी करना पड़ा। लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी। आज उनका सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपये में पहुंच गया है।

The Kabadiwala
Success Story Of Anurag Asati : अपना काम अपना होता है। अच्छा या बुरा नहीं। दूसरे लोग क्या कहते हैं, इसकी परवाह किए बिना बस काम पर फोकस रखिए। एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब यही दुनिया आपके काम की तारीफ करेगी। ऐसा ही कुछ किया अनुराग असाटी ने। दुनिया जहां कबाड़ को खराब चीज मानती है, इन्होंने इंजीनियरिंग करने के बाद कबाड़ को ही अपनी जिंदगी बना लिया और इसमें बिजनेस के नए आयाम लिख दिए। हालांकि यह इन्होंने अकेले नहीं किया। इन्हें साथ मिला दोस्त कवींद्र रघुवंशी का। भोपाल से शुरू हुआ यह बिजनेस आज देश के कई शहरों में फैल चुका है। इनके बिजनेस का नाम 'द कबाड़ीवाला' है। इनका सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपये है।

ऐसे आया आइडिया

अनुराग असाटी ने आईटी से इंजीनियरिंग की है। एक समय ऐसा था जब उनके पास इंजीनियरिंग के पढ़ाई के दौरान फीस भरने के भी पैसे नहीं थे। उनके ऊपर एक लोन पहले से चल रहा था। कुछ समय बाद कॉलेज मैनेजमेंट ने उन्हें फीस में छूट दी। एक दिन वह कॉलेज से घर लौट रहे थे। रास्ते में उन्हें एक कबाड़ी वाले का ठेला दिखाई दिया। उन्होंने सोचा कि हम हमेशा कबाड़ी वाले का इंतजार करते हैं। अगर वह न आए तो कबाड़ का सामान घर में रखा खराब होता रहता है। क्यों न कुछ ऐसा किया जाए कि कबाड़ी खुद घर आए और कबाड़ लेकर जाए यानी कबाड़ी आने का इंतजार न किया जाए। कुछ दिनों बाद उन्होंने अपना यह आइडिया अपने सीनियर कवींद्र रघुवंशी के साथ शेयर किया। इसके बाद दोनों ने इस बिजनेस में कदम बढ़ाया। [caption id="attachment_744298" align="alignnone" ] The Kabadiwala[/caption]

आसान नहीं रहा सफर

साल 2013 में अनुराग ने कवींद्र की मदद से एक ऐप बनाया और लोगों को अपने इस आइडिया के बारे में बताया। शुरू में लोगों ने इसमें बहुत ज्यादा रुचि नहीं ली। इन्होंने अपने इस आइडिया के बारे में घर पर किसी को नहीं बताया था। जैसे-जैसे इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होती जा रही थी, दोनों पर नौकरी करने का दबाव बढ़ता जा रहा था। बाद में इन्होंने अपने आइडिया को छोड़ नौकरी शुरू कर दी। लेकिन यह नौकरी ज्यादा समय नहीं की। साल 2015 में इन्होंने नौकरी छोड़ फिर से अपने आइडिया पर काम करना शुरू कर दिया। शुरू में दोनों को नहीं पता था कि यह बिजनेस कैसे करना है। उन्हें रीसायकल कंपनी के बारे में भी नहीं पता था। टेक्निकल नॉलेज होने की वजह से वेबसाइट और ऐप आसानी से बना ली थी। जब उन्हें शुरुआती ऑर्डर आए तो वे खुद ही कबाड़ लेने जाते थे। बाद में उन्होंने गलतियों से सीखा और आज एक बड़ी कंपनी बना डाली।

40 तरह से ज्यादा के कबाड़ इकट्ठा करती है कंपनी

आज 'द कबाड़ीवाला' 40 तरह से ज्यादा के कबाड़ इकट्ठा करती है। इसे देश की उन कंपनियों को भेजा जाता है जो कबाड़ को रीसायकल करती हैं। जो भी कबाड़ इकट्ठा होता है, उसका करीब 25 फीसदी ही रीसायकल हो पाता है। बाकी का कबाड़ लैंडफिल में भेज दिया जाता है। यह कंपनी आज 100 से ज्यादा रीसायक्लिंग कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही है। अनुराग बताते हैं कि उनकी कंपनी कबाड़ रीसायकल करने साथ लोगों में जागरूकता लाने का भी काम करती है। आज कंपनी का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपये है। यह भी पढ़ें : Success Story Of Netflix : किराये पर सीडी देने से हुई थी शुरुआत, आज घर-घर पहुंची, 23 लाख करोड़ की हुई कंपनी


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