TrendingMaha Kumbh 2025Delhi Assembly Elections 2025bigg boss 18Republic Day 2025Union Budget 2025

---विज्ञापन---

स्कूटर पर नमकीन बेचते-बेचते कैसे लाखों लोगों के लिए ‘सहारा’ बने सुब्रत राय, प्रेरणादायक है जीवनी

सुब्रत रॉय सहारा ने मंगलवार शाम 75 वर्ष की आयु में आखिरी सांस ली। सुब्रत रॉय सहारा ने हर सेक्टर में धूम मचाई। गोरखपुर से शुरू हुआ ये सफर विदेश तक पहुंच गया। लाखों लोगों के रोजगार का जरिया सुब्रत रॉय बने।

Photo Credit: Google
Subrata Roy Passes Away: सहारा इंडिया ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार देर शाम निधन हो गया। उन्होंने 75 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। सुब्रत रॉय लंबे समय से बीमार चल रहे थे। इसकी वजह से मुंबई के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। सुब्रत रॉय का पार्थिव शरीर बुधवार को लखनऊ के सहारा शहर लाया जाएगा, जहां उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। आपको बताते हैं उनके शानदार सफर के बारे में कि कैसे स्कूटर पर नमकीन बेचते-बेचते सुब्रत रॉय लाखों लोगों के लिए सहारा बन गए थे।

2,000 रुपए से किया पहला बिजनेस शुरू

सुब्रत राय का जन्म अररिया जिले में 10 जून 1948 में हुआ था। उनके पिता सुधीर चंद्र रॉय और माता छवि राय थीं। स्कूलिंग कोलकाता में हुई थी और गोरखपुर से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पहले बिजनेस की बात करें तो वो गोरखपुर से ही सुब्रत राय ने शुरू किया था। केवल  2,000 रुपए से अपना बिजनेस शुरू करने वाले सुब्रत रॉय सहारा ने हर सेक्टर में धूम मचाई। कभी स्कूटर पर नमकीन बेचने वाले सुब्रत रॉय लाखों लोगों का सहारा बन गए और फिर उन्होंने सहारा परिवार बनाया।

एक छोटे से कमरे से आसमान तक का सफर

रियल एस्टेट के साथ फाइनेंस, मीडिया, एंटरटेनमेंट और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर हर जगह सुब्रत रॉय सहारा ने धूम मचाई। एक छोटे से कमरे में 2 कुर्सी के साथ सुब्रत रॉय रहा करते थे, वहीं से उन्होंने 2 लाख करोड़ तक का सफर तय किया।

दोस्त के साथ किया पहला बिजनेस

दरअसल सुब्रत राय अररिया जिले में रहा करते थे, लेकिन मन पढ़ाई में कम पर जिंदगी में कुछ खास करने में ज्यादा लगता था। इसी की वजह से गोरखपुर के लिए निकल लिए। वहां अपने दोस्त के साथ एक स्कूटर पर नमकीन बेचना शुरू किया। इसके बाद उसी दोस्त के साथ मिलकर चिट एंड फंड का काम करना शुरू किया। फिर जब धंधा जमने लगा तो पैरा बैंकिंग को भी जमीनी हकीकत पर ले आए। उद्देश्य साफ था कि मीडिल क्लास को टारगेट रखना है। जिससे हुआ ये कि 200 रुपए कमाने वाला व्यक्ति भी 40 रुपए उन पर जमा करके जाता था।

हाउसिंग सेक्टर, पहला बड़ा कदम

पहले गली से कस्बा फिर कस्बे से शहर, शहर से देश में सुब्रत राय की ये स्कीम हिट हो गई। लोगों का विश्वास सुब्रत राय में बनता ही चला गया। लेकिन 1980 में ये स्कीम सरकार की वजह से आगे नहीं चल पाई। लेकिन सुब्रत राय ने चलना नहीं छोड़ा। सबसे पहले हाउसिंग सेक्टर में कदम रखा, फिर तो देखते ही देखते सहारा ग्रुप हर जगह छा गया। इतना ही नहीं क्रिकेट में टीम इंडिया के लिए 11 साल सहारा स्पॉन्सर बना रहा। टीम की जर्सी पर सहारा लिखा देखना, फैंस की एक आदत बन गई थी।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.