क्या आपने होम लोन लिया है ? RBI के इस नियम से ऐसे बचा सकते हैं लाखों रुपये
RBI Home Loan Interest : अगर आपने भी बैंक से होम लोने लिया है तो आपके के लिए ये खबर बहुत ही महत्वपूर्ण और पैसा बचाने वाला है। दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक ने होम लोन के नियम में कुछ बदला किया है। RBI ने इस सिलसिले में बैंकों को निर्देश भी जारी कर दिया है।
आरबीआई का राहत वाला नियम
दरअसल, आरबीआई की ओर से बैंक दर (Bank Rate) में बढ़ोतरी के बाद बैंक भी अपने इंटरेस्ट रेट में बदलाव करता है। आमतौर पर देखा गया है कि ब्याज दर बढ़ने पर बैंक ऋण की अवधि बढ़ा देता है ताकि मासिक भुगतान (EMIs) के बढ़ते ब्याज के भार से कर्जदारों को बचाया जा सके। लेकिन इससे कर्जदारों के लोन की अवधि बढ़ जाती है।
ब्याज दर बढ़ने पर बैंक बढ़ा देता है अवधि
हालांकि इससे कर्जदरों को लंबी अविधि में नुकसान और बैंक को फायदा होता है। कर्जदारों को भुगतान के रुप से बैंक को ज्यादा पैसा देना पड़ता है। ऐसे में RBI ने अपने नियम में बदलबा करते हुए बैंको को होम लोन पर अपने ग्राहकों को ब्याज दर को रीसेट करने का ऑप्शन देने का निर्देश दिया है। आरबीआई ने साफ किया है ब्याज दर में बढ़ोतरी स्थिति में बैंक होम लोन लेने वालों को ऋण की अवधि या EMI बढ़ाने या फिर लोन की अविधि बढ़ाने का विकल्प दे।
कर्जदारों को होता है नुकसान
दअरसल जब आरबीआई ब्याज दर बढ़ती है तो बैंक आमतौर पर EMI की बढ़ती हुई दर से ऋणदारों को बचाने के लिए ऋण की अवधि बढ़ा देते हैं। हालांकि, कभी-कभी ये विस्तार बहुत लंबा हो जाता है और उच्च ब्याज के कारण कर्जदारों को हानि पहुंचाने लगता है।
रिटायरमेंट के बाद भी चुकाना पड़ता है होम लोन
कई बार देखा गया है कि ब्याज दर में बढ़ोतरी की स्थिति में बैंक अपने ग्राहकों को बताए बिना उनपर EMI का बोझ नहीं बढ़ाते हुए लोन के टेन्योर को बढ़ा देता है। इससे कई बार देखा जाता है कि लोगों को नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद भी होम लोन के EMI का भुगतान करना पड़ता है।
बैंक ग्राहकों को दे ये ऑप्शन
होम लोन लेने वालों की इन्हीं मुश्किलों को देखते हुए RBI ने पिछले दिनों बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपने ग्रहाकों से पूछे कि वो अपनी EMI की बढ़ाई करना चाहते हैं, या फिर लोन की अविधि। आरबीआई ने 18 अगस्त 2023 को जारी अधिसूचना में कहा है कि
- होमलोन लेने वालो को सूचित करना चाहिए कि बेंचमार्क दर में परिवर्तन का संभावित प्रभाव EMI/अवधि या दोनों में परिवर्तन हो सकता है।
- ब्याज को पुनर्निर्धारित करने के समय, कर्जदारों को ब्याज दर को स्थिर दर पर स्विच करने का विकल्प देना चाहिए। फ्लोटिंग से फिक्स्ड पर स्विच करने के लिए लागू स्वीकृति पत्र होनी चाहिए।
- कर्जदारों को लोन की अवधि विस्तार या EMI में वृद्धि का विकल्प देना चाहिए।
- लोन की मासिक भुगतान की आग्रिम ब्याज दर को कवर करने के लिए सही-सही जानकारी देनी चाहिए।
- बैंक बिना लोन लेना वालों को भरोसा में लिए बिना स्वतंत्र निर्णय नहीं कर सकते।
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लोन पर EMI बढ़ाना ठीक, अवधि नहीं
एक आंकड़े के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति 2020 में 7 फीसदी की ब्याज दर पर 20 साल (240 महीने) के लिए 50 लाख रुपये का होम लोन दिया। 7 फीसदी के दर पर मासिक EMI 38,765 रुपये था। कुल ब्याज रुपये 43.04 लाख होगा। वहीं अगर मान लेते हैं कि 3 साल बाद ब्याज दर बढ़कर 9.25 फसीदी हो जाती है तो RBI के नए नियम के मुताबिक, बैंकों को अपने ग्राहकों को लोन की अवधि बढ़ाने, EMI बढ़ाने या ब्याज दर को रीसेट करते विकल्प देना होगा।
ऐसे बचेंगे आपके लाखों रुपये
यदि वह व्यक्ति अपना 20-साल का लोन समय के साथ पूरा करना चाहते हैं तो 3 साल बीत जाने के मासिक EMI बढ़कर 44,978 रुपये तक बढ़ जाएगी। ऐसे उस व्यक्ति को अपना लोन खत्म करने के लिए ब्याज 55.7 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।
वहीं अगर वही व्यक्ति अपने लोन की अवधि बढ़ाने का विकल्प चुनता है और अपनी ईएमआई को 38,765 रुपये प्रति महीने रुपये पर बनाए रखता हैं तो वहीं लोन 321 महीने या 26 साल और 10 महीने तक जारी रहेगा। ऋण अवधि के अंत में आपका कुल ब्याज भुगतान 88.52 लाख रुपये होगा। यदि आप इस मामले में उच्च ईएमआई के बजाय अधिक अवधि का विकल्प चुनते हैं तो आपको 33 लाख रुपये की अतिरिक्त ब्याज दर का भुगतान करना पड़ेगा।
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