Union Budget 2024: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कैंसर की तीन दवाओं पर कस्टम ड्यूटी को समाप्त कर दिया है। सरकार के इस ऐलान के बाद इन तीनों दवाओं की कीमतों में काफी कमी आ सकती है। इससे कैंसर के मरीजों के इलाज में आसानी होगी और पीड़ितों पर आर्थिक बोझ भी कम होगा। कैंसर की ये तीन दवाएं हैं - ट्रैस्टुज़ुमैब डेरक्सटेकन (Trastuzumab Deruxtecan), ओसिमर्टिनिब (Osimertinib) और ड्यूरवालुमैब (Durvalumab) हैं। कैंसर की इन तीनों दवाओं पर पहले 10 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगती थी, जो अब जीरो प्रतिशत कर दी गई है।
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कैंसर की ये दवा अमेरिका और यूरोप में उपलब्ध है। इसका इस्तेमाल ब्रेस्ट कैंसर और गैस्ट्रिक कैंसर के इलाज में होता है। इस दवा को ऐस्ट्राजेनेका ने बनाया है। इसी कंपनी ने कोरोना की एक वैक्सीन भी बनाई थी। ट्रैस्टुज़ुमैब डेरक्सटेकन को एनहर्तु नाम से रजिस्टर किया गया है और अब ये दवा इसी नाम से प्रसिद्धि पा रही है। 100mg के डोज में उपलब्ध ये दवा कॉमर्शियल पैक में भी उपलब्ध है। भारत में डॉक्टरों को इलाज के लिए इस दवा को अमेरिका से मंगाना पड़ता है। इसका खर्चा 3 लाख रुपये के आसपास पड़ता है।
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ये दवा फेफड़े के कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। ये दवा उन प्रोटीन्स को ब्लॉक करती है जो कैंसर सेल्स को विकसित करते हैं। इस दवा के इस्तेमाल से कैंसर का फैलाव कम होता है या उसे रोकने में मदद मिलती है। भारत में उपलब्ध ऑनलाइन दवाएं बेचने वाली कंपनियों के मुताबिक ओसिमर्टिनिब के 10 टेबलेट वाले 1 पत्ते की कीमत डेढ़ लाख रुपये के आसपास पड़ती है।
ड्यूरवालुमैब
यह फेफड़ों और पित्त के कैंसर की दवा है। ड्यूरवालुमैब इम्युनोथेरेपी दवा है, जो पीडी-एल1 प्रोटीन को ब्लॉक करता है। इससे इम्यून सिस्टम कैंसर सेल्स पर हमला करने में मदद मिलती है। इसका उपयोग फेफड़े के कैंसर और मूत्राशय कैंसर के इलाज में भी किया जाता है। ऑनलाइन दवा विक्रेताओं के मुताबिक ड्यूरवालुमैब के दो डोज की कीमत 1.5 लाख के करीब पड़ती है।
बता दें कि फरवरी में पेश अंतरिम बजट में वित्तमंत्री ने सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए 9 से 14 साल की लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन लगवाने का ऐलान किया था।