Income Tax Bill 2025: नया आयकर विधेयक 2025 संसद में पेश हो चुका है। हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स बिल 2025 को लोकसभा में पेश किया था। संसद की मंजूरी के बाद बिल कानून बन जाएगा और पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह ले लेगा। इस बिल को लेकर अभी भी लोगों के मन में कई कंफ्यूजन हैं। यह कहा जा रहा है कि नए इनकम टैक्स बिल में देर से रिटर्न (ITR) फाइल करने वाले को रिफंड नहीं देने का प्रावधान है।
क्या है मौजूदा व्यवस्था?
सामान्य करदाता ही नहीं, कई एक्सपर्ट्स भी इसे लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं। चर्चा है कि ऐसे टैक्सपेयर्स जो निर्धारित तिथि के बाद यानी देरी से ITR फाइल करते हैं, वे रिफंड के पात्र नहीं होंगे। जबकि मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 के तहत इसकी अनुमति है। वर्तमान कानून कहता है कि व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स के लिए ITR फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई है, लेकिन धारा 139(4) के तहत देरी से ITR 31 दिसंबर तक फाइल किया जा सकता है। इस स्थिति में भी करदाता रिफंड का दावा कर सकते हैं।
नहीं मिलेगा रिफंड?
टैक्स गुरु नामक एक X यूजर द्वारा इसी तरह का सवाल पूछा गया है, जिसका आयकर विभाग ने जवाब दिया है। टैक्स गुरु ने अपनी पोस्ट में लिखा है, आयकर अधिनियम, 1961 के तहत देरी से फाइल किए गए ITR पर भी रिफंड का दावा किया जा सकता है। जबकि, आयकर विधेयक 2025 में एक नया नियम प्रस्तावित है, जो कहता है कि रिटर्न देर से दाखिल करने पर कोई रिफंड नहीं मिलेगा।
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विभाग का जवाब
इसके जवाब में, आयकर विभाग ने स्पष्ट किया कि रिफंड प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। विभाग ने आगे लिखा है कि नए इनकम टैक्स बिल के प्रस्तावित खंड 263(1)(ix) में पहले से मौजूद प्रावधानों को ही जोड़ा गया है। सेक्शन 263 के तहत या सेक्शन 268(1) के नोटिस के जवाब में फाइल किए गए इनकम टैक्स रिटर्न को सेक्शन 270 के तहत प्रोसेस किया जाएगा। यदि कोई रिफंड बनता है तो वह सेक्शन 271(1)(e) के तहत जारी कर दिया जाएगा।
सवाल अब भी हैं
हालांकि, आयकर विभाग के इस जवाब से स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई है ऐसा नहीं है। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी के पार्टनर विवेक जालान के अनुसार, नए आयकर विधेयक 2025 के प्रस्तावित खंड 263(1)(ए)(ix) में यह अनिवार्य किया गया है कि अध्याय XX के तहत रिफंड चाहने वाले व्यक्तियों को अपना आयकर रिटर्न देय तिथि तक जमा करना होगा। यह आयकर अधिनियम 1961 के वर्तमान प्रावधानों से काफी भिन्न है, जिसके तहत कर निर्धारण वर्ष के 31 दिसंबर तक विलंबित रिटर्न दाखिल किया जा सकता है और इसके बाद भी रिफंड का दावा किया जा सकता है।
मुश्किल होगा दावा
ET से बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा, खंड 433 के अनुसार रिफंड केवल रिटर्न दाखिल करते समय ही मांगा जाना चाहिए। इस तरह के प्रावधान से उन व्यक्तिगत करदाताओं को परेशानी होगी जो वास्तविक कारणों से डेडलाइन मिस कर देते हैं। ऐसे मामलों में, अगर ज्यादा टीडीएस काटा भी जाता है, तो भी उन्हें रिफंड का दावा करने से रोका जा सकता है।
गलती या कुछ और?
वहीं, टैक्स कंसल्टेंट फर्म आरएसएम एस्ट्यूट कंसल्टिंग की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयकर अधिनियम 1961 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो किसी करदाता को रिटर्न में देरी के कारण रिफंड का दावा करने से रोकता हो। जबकि आयकर विधेयक, 2025 में एक प्रावधान है, जो ITR में देरी की स्थिति में रिफंड का दावा करने से रोकता है। लिहाजा, यह देखना होगा कि क्या यह कोई गलती है और क्या विधेयक के कानून बनने से पहले इस प्रावधान में कोई बदलाव किया जाएगा?