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ताजमहल से दोगुनी कीमत, बनवाने में लगे 7 साल! ये इमारत नहीं, स‍िंहासन है, कहानी सुनकर घुम जाएगा द‍िमाग

Most Costlier Throne in History: आपने ताज महल और इससे जुड़ी कई कहान‍ियां सुनी होंगी. ताजमहल को बनवाने में लगे खर्च से लेकर प्रेम की पर‍िभाषा तय करने तक बहुत कुछ पढ़ा होगा. लेक‍िन क्‍या आप इस स‍िंहासन के बारे में जानते हैं, ज‍िसे शाहजहां ने ही बनवाया था और उसकी कीमत ताज महल की कीमत से दोगुना नहीं बल्‍क‍ि उससे भी कहीं ज्‍यादा है. लेक‍िन अब ये भारत में नहीं है. जान‍िये, दुन‍िया के सबसे महंगे और खूबसूरत स‍िंहासन तख्‍ते ताऊस की हैरान कर देने वाली कहानी.

ये इत‍िहास का सबसे शानदार और सबसे कीमती स‍िंहासन है, ज‍िसे शाहजहां ने बनवाया था.

तक्ते ताऊस यानी मयूर सिंहासन वह मशहूर सिंहासन है जिसे मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था और यह अपने नाम की तरह ही बिल्कुल अलग तरह का सिंहासन था. शुरुआत में आगरे किले में रखे गए तख्ते ताऊस को बाद में दिल्ली के लाल किले में ले जाया गया था. अब सवाल यह है कि इतने खूबसूरत दिखने वाले सिंहासन को तख्ते ताऊस क्यों कहा जाता है और तख्ते ताऊस आखिर दिल्ली के लाल किले से ईरान कैसे पहुंच गया था. इसे ताज महल से भी महंगा क्‍यों बताया जाता है? आइए आज हम आपको बताते हैं तख्ते ताऊस से जुड़ी खास कहानी :

सिंहासन का नाम मयूर सिंहासन क्‍यों पड़ा?

इस सिंहासन का नाम तक्ते ताऊस यानी मयूर सिंहासन इसलिए पड़ा क्योंकि इसके पिछले हिस्से में नाचते हुए दो मोर दिखाए गए थे. तख्ते ताउस को इतिहास का सबसे कीमती सिंहासन भी कहा जाता है. इसे बनवाया तो शाहजहां ने था, लेकिन वह इस पर बैठकर लंबे समय तक शासन नहीं कर पाया. बताया जाता है कि जब शाहजहां ने मुगल साम्राज्य संभाला तभी उसने अपने लिए यह नया तख्त, जिसे तख्ते ताऊस कहा जाता है बनवाया था. 13 गज लंबे गज चौड़े और पांच गज ऊंचे तख्ते ताऊस के नीचे सोने से बने छह पाए लगाए गए थे. इतना ही नहीं इस सिंहासन में बेहद बेश कीमती ढेरों हीरे जवाहरात भी जड़वा गए थे. उस समय इन हीरे जवाहरात को अलग-अलग मुल्कों से मंगवाया गया था.

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तैयार होने में लगा 7 साल का वक्‍त
कई र‍िपोर्ट्स में ये बात कही गई है क‍ि उस्ताद साद-उल-गिलानी के देखरेख में इसे बनाने की शुरुआत हुई. स‍िंहासन में सोना, हीरे, पन्ने, माणिक और दुनियाभर से मंगाए गए अनमोल मोती इस सिंहासन की शोभा बने. लगभग सात साल की मेहनत के बाद सन 1635 में ये स‍िंहासन बन कर तैयार हुआ और शाहजहां पहली बार इस पर बैठा.

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इतने खर्च से हुआ तैयार
इतिहासकारों के मुताबिक इस स‍िंहासन को बनवाने में ताज महल से भी ज्‍यादा खर्च हुआ था. ताज महल को बनवाने में उस वक्‍त 3 करोड़ 20 लाख की लागत आई थी. जबक‍ि इस सिंहासन को बनाने में उस समय 10.70 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च हुआ था.यानी आज इसकी वैल्‍यू 1.35 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक होती है. कई र‍िपोर्ट्स में यह भी दावा क‍िया जाता है क‍ि कोह‍िनूर हीरा भी इसी का ह‍िस्‍सा हुआ करता था.

औरंगजेब ने क‍िया कब्‍जा
ये भी कहा जाता है कि शाहजहां का छोटा बेटा औरंगजेब अपने पिता को कैद करने के बाद मुगल साम्राज्य पर काबिज हो गया था और उसने तख्ते ताऊस पर भी कब्जा कर लिया था और शासन करने के दौरान वह इस पर बैठकर ही बड़े फैसले किया करता था.

औरंगजेब के बाद मोहम्मद शाह रंगीला तख्ते ताऊस पर बैठे, लेकिन रंगीला के शासनकाल में ही ईरान के शासक नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला बोल दिया था. अब सवाल यह है कि आखिर दिल्ली से ईरान कैसे पहुंचा. तक्ते ताऊस भारतीय पुरातत्व विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 1739 में नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला बोला था और मोहम्मद शाह रंगीला को युद्ध में हराने के बाद वह इस तख्ते ताऊस को अपने साथ ईरान लेकर चले गए थे.


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