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जिस NSE पर गर्व, उसकी वजह थे Manmohan Singh, ऐसे लिखी गई देश के सबसे बड़े एक्सचेंज की कहानी

National Stock Exchange: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NSE वॉल्यूम के लिहाज से देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इस एक्सचेंज को अस्तित्व में लाने में डॉ मनमोहन सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं। 26 दिसंबर को उन्होंने दिल्ली में आखिरी सांस की। मनमोहन सिंह ने देश की आर्थिक सेहत को मजबूत बनाने के लिए बहुत कुछ किया। बतौर वित्त मंत्री 1991 में देश की इकॉनमी को डूबने से बचाने वाले उनके बजट को कौन भूल सकता है। स्टॉक मार्केट में क्रांतिकारी बदलावों में भी डॉ सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की नींव उन्हीं के कार्यकाल में रखी गई थी।

1992 में मिली थी मंजूरी

मई 1992 में, वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिससे भारत के वित्तीय बाजारों का आधुनिकीकरण हुआ और एक तरह से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के प्रभुत्व को चुनौती मिली। स्वीडिश मॉडल से प्रेरित NSE ने ट्रांसपेरेंसी और एफिशिएंसी को बढ़ावा देते हुए एक ऑर्डर-ड्रिवेन सिस्टम को अपनाया। इसने देश के स्टॉक मार्केट को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। यह भी पढ़ें - Year Ender 2024: इस साल हमने खोये कारोबारी जगत के कुछ अनमोल ‘रतन’

ऐसे तैयार हुआ ब्लूप्रिंट

साल 1992, महीना मई, नॉर्थ ब्लॉक के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित वित्त मंत्रालय के कॉन्फ्रेंस रूम में एक महत्वपूर्ण प्रेजेंटेशन चल रही थी। बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह बड़ी गंभीरता से हर बात को सुन रहे थे। रवि नारायण, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI) में रवि नारायण के मेंटर रहे आरएच पाटिल और आईडीबीआई बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष एस एस नादकर्णी इस प्रेजेंटेशन का हिस्सा थे। इन सभी ने मिलकर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) बनाने के लिए डॉ सिंह के सामने एक ब्लूप्रिंट पेश किया।

जरूरत का था अहसास

स्वीडिश मॉडल से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने एक ऐसी प्रणाली की कल्पना की जो भारतीय शेयर बाजारों पर हावी ब्रोकर-ड्रिवेन मॉडल से अलग होगी। रवि नारायण ने फाइनेंस मिनिस्टर को बताया कि NSE तरलता बढ़ाने और पूरे देश के लिए एकीकृत ऑर्डर बुक सुनिश्चित करने के लिए ऑर्डर-ड्रिवेन दृष्टिकोण अपनाएगा। 1991 के आर्थिक सुधारों के आर्किटेक्ट रहे मनमोहन सिंह को यह समझते देर नहीं लगी कि NSE का यह कांसेप्ट देश के लिए कितना महत्वपूर्ण साबित होगा, उन्होंने तुरंत इस प्रस्ताव पर स्वीकृति की मुहर लगा दी।

आज NSE सबसे बड़ा एक्सचेंज

मनमोहन सिंह से हरी झंडी मिलने के बाद कुछ वक्त पहले ही अस्तित्व में आए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के अध्यक्ष जी. वी रामकृष्ण ने बाकी सदस्यों के साथ मिलकर एनएसई को आकार देने के लिए मंच तैयार किया। आज, NSE वॉल्यूम के हिसाब से भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज के रूप में स्थापित है, जो मनमोहन सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।


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