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Indian Railways: इंड‍िगो की तरह क्‍या रेल यात्र‍ियों पर भी आने वाली है मुसीबत? जानें Latest Update

IndiGo संकट अभी दूर नहीं हुआ है और ऐसा लगता है क‍ि अब भारतीय रेलवे के पैसेंजर्स की भी मुसीबस बढ़ने जा रही है. रेलवे के लोको पायलटों ने सरकार के सामने अपनी कुछ मांगे रखी हैं. जान‍िये पूरा मामला क्‍या है और पैसेंजर्स पर कैसे इसका असर हो सकता है?

भारतीय रेल के लोको पायलट भी अब श‍िफ्ट में बदलाव की मांग कर रहे हैं.

पिछले हफ्ते, पायलट की कमी के कारण इंडिगो ने देश भर में हजारों फ्लाइट्स कैंसिल कर दीं, जिससे यात्री फंस गए और सरकार ने इस मुश्किल को कम करने के लिए रिफंड पॉलिसी लागू की. दरअसल, नवंबर में फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) और फटीग रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम (FRMS) शुरू क‍िया गया. नए न‍ियमों में पायलट के आराम के जरूरी नियमों का पालन करने का न‍िर्देश था और इंड‍िगो से यहीं चूक हो गई. इस एक चूक की वजह से पूरे घरेलू एविएशन सेक्टर में बड़ी दिक्कतें आईं और पैसेंजर्स को परेशान‍ियों का सामना करना पड़ा.

लेक‍िन अब लगता है क‍ि भारतीय रेल के पैसेंजर्स के सामने भी कुछ इसी तरह की मुसीबत आने वाली है. इंडियन रेलवे के लोको पायलट अब थकान से बचने और होने वाले रेलवे हादसों को रोकने के लिए काम के घंटे की लिमिट तय करने की मांग कर रहे हैं.

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क्‍या है पूरा मामला ?

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रेलवे में लोको पायलटों की कमी चल रही है और कर्मचार‍ियों लंबे समय से इन खाली जगहों पर और भर्त‍ियां करने की मांग कर रहे हैं. लेक‍िन जब तक इन पदों पर नई भर्त‍ियां नहीं हो जाती हैं, तब तक मौजूदा लोको पायलटों से काम चलाया जा रहा है. इसकी वजह से उनके काम के घंटे लंबे हो रहे हैं.

ऐसे में रेलवे के लोको पायलट सही ड्यूटी घंटे और साइंटिफिक रोस्टर प्लानिंग समेत बेहतर लेबर सुधारों की मांग कर रहे हैं. उन्होंने रेलवे से हाल के इंडिगो संकट से सबक लेने को कहा है.

रेल यात्र‍ियों पर असर
लोको पायलट अगर अपनी मांग पर अड़ जाते हैं तो ट्रेनों के संचालन पर इसका असर होगा. इसका असर पैसेंजर्स पर भी होगा, क्‍योंक‍ि जब लोको पायलट ही नहीं रहेंगे तो ट्रेन कैसे चलेगी. अगर ये स्‍थ‍िति‍ बनती है तो इंड‍िगो से कहीं ज्‍यादा भयानक पर‍िणाम हो सकते हैं.

एसोस‍िएशन ने की आलोचना
र‍िपोर्ट के अनुसार ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) ने प्राइवेट एयरलाइंस के प्रति नरमी दिखाने और सरकारी कर्मचारियों के साथ सख्त रवैया अपनाने के लिए केंद्र की आलोचना की. यूनियन ने कहा कि पब्लिक सेक्टर यूनिट्स में कर्मचारियों के विरोध-प्रदर्शनों पर अक्सर डिसिप्लिनरी एक्शन, चार्जशीट या अलग-अलग 'ब्लैक रूल्स' के तहत दमन किया जाता है, जिन्हें अक्सर पब्लिक की सुविधा या जरूरी सेवाओं के नाम पर सही ठहराया जाता है.

News18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, AILRSA ने कड़े शब्दों में एक बयान में आरोप लगाया क‍ि जब बड़ी प्राइवेट कंपनियां सेफ्टी नियमों का विरोध करती हैं, तो सरकार उनके हुक्म के आगे झुक जाती है, यहां तक कि सिस्टम सेफ्टी से भी समझौता कर लेती है.

AILRSA ने कहा कि एविएशन में ये मुद्दे लोको पायलटों की लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को दिखाते हैं, जो दशकों से साइंटिफिक तरीके से डिजाइन किए गए ड्यूटी शेड्यूल की मांग कर रहे हैं. यूनियन ने कहा कि दुनिया भर में फटीग-मैनेजमेंट के नियम बहुत ज्‍यादा रिसर्च और पिछली सेफ्टी घटनाओं पर आधारित हैं.

6 घंटे की ड्यूटी ल‍िमि‍ट
एसोसिएशन ने रेलवे से FRMS-बेस्ड वर्क-आवर सिस्टम अपनाने की अपील की, जिसमें रोजाना छह घंटे की ड्यूटी लिमिट, तय आराम का शेड्यूल, हर शिफ्ट के बाद 16 घंटे का आराम, और रोज के आराम के अलावा हफ्ते में एक बार आराम शामिल हो.


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