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दिवाली का बड़ा तोहफा…क्यों नहीं बढ़ी महंगाई दर, सरकार-RBI के 5 फैसले बने कारण

India's Retail Inflation: खुदरा महंगाई दर 3 महीने में सबसे कम हुई है। इसके पीछे सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 5 फैसले कारण बने हैं, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं...

Retail Inflation
India's Retail Inflation Drops: देशवासियों को दिवाली से पहले बड़ा तोहफा मिला है। खुदरा महंगाई दर 3 महीने में सबसे कम हुई है। सितंबर महीने में इसमें गिरावट दर्ज हुई है। खाने-पीने की चीजों के दाम कम होने से खुदरा महंगाई दर कम हुई। अगस्त में यह 6.83 प्रतिशत था, लेकिन सितंबर में यह कम होकर 5.02 प्रतिशत रह गई। सितंबर में खाद्य मुद्रा स्फीति भी 6.56 प्रतिशत रही। यह अगस्त में 9.94 प्रतिशत थी। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खुदरा महंगाई दर 5.33 प्रतिशत और 4.65 प्रतिशत रही, लेकिन ऐसा क्यों हुआ? इसके पीछे सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 5 फैसले कारण बने हैं, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं... यह भी पढ़ें: 7th Pay Commision: दीवाली पर सरकार देगी कर्मचारियों को तोहफा, इतना मिलेगा इंक्रीमेंट

पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी और स्थिरता

देश में पिछले कई महीनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतें बदली नहीं है। तेल के दाम स्थिर बने हुए हैं। दाम न घटाए गए और न ही बढ़ाए गए हैं। इससे तेल कंपनियों को काफी मुनाफा हुआ है। पिछले साल मई में केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई थी। पिछले साल 22 मई से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर हैं। केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। इससे पेट्रोल और डीजल के दामों में 13 रुपये और 16 रुपये प्रति लीटर की कमी हो गई थी। इसके बाद पिछले कुछ महीनों में क्रूड ऑयल के भाव भी गिर गए, जिससे तेल कंपनियों को फायदा हुआ। ऐसा होने से महंगाई दर पर असर पड़ा। यह भी पढ़ें: SIP करने का शानदार मौका, 16000 करोड़ के रिकॉर्ड शिखर पर, ना गवाएं मौका

ब्याज की दरें RBI की तरफ से नहीं बढ़ाई गईं

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से ब्याज की दरें नहीं बढ़ाए जाने से भी महंगाई दर घटी है। बैंक ने लगातार चौथी बार ब्याज की दरें नहीं बढ़ाई। कहा जा रहा है कि बैंक ने महंगाई दर घटाने के लिए ही यह फैसला लिया है। बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत दुनिया के विकास का इंजन बनने की कोशिश में है, इसलिए रेपो रेट इस तिमाही में 6.50 फीसदी रहेगी। तीसरी तिमाही में यह 5.7 फीसदी से 5.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.2 फीसदी रहेगी। उन्होंने 2025 वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए महंगाई दर 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था, जो सही साबित हुआ। रेपो रेट नहीं घटना का असर भी महंगाई दर पर पड़ा। यह भी पढ़ें: अचानक Saving छोड़ FD की तरफ जा रहे लोग, कहीं ये RBI की ताजा पॉलिसी का असर तो नहीं?

सप्लाई चेन को मजबूत बनाने से फायदा

देश में प्रोडक्ट की सप्लाई चेन को मजबूत करने से भी महंगाई दरों पर असर पड़ा है। भारत सरकार ने सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए सड़कों का जाल बिछाया है। मालगाड़ियों की आवाजाही बढ़ाने के लिए फैसले लिए हैं। रेलवे ट्रैक बढ़ाए गए हैं। सड़को का जाल बिछाया है। इससे एक से दूसरे राज्य और शहर में सप्लाई की चेन मजबूत हुई। डिमांड पूरी होने से प्रोडक्ट के दाम घटे, जिससे महंगाई की दर भी घटी।

देशभर में घरेलू मांग में इजाफा हुआ

रेपो रेट नहीं बढ़ने से EMI की दरें नहीं बढ़ीं, जिससे लोगों का फायदा हुआ। देश में घरेलू मांग बढ़ी। जेब में ज्यादा पैसा होने से लोगों के लिए शॉपिंग करना आसान हो गया। अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना आसान हो गया है। ऐसे में घरेलू मांग बढ़ने से महंगाई दर पर काफी असर पड़ा। यह भी पढ़ें: क्या भारत-पाकिस्तान से मजबूत है अफगानिस्तान की करेंसी? जानें क्या है सच्चाई 

एनर्जी प्राइस में कमी आने से फायदा हुआ

महंगाई दर में गिरावट आने का एक कारण एनर्जी प्राइस का कम होना है। पेट्रोल डीजल की कीमतें नहीं बढ़ने से फैक्ट्रियों में लागत घटी। लागत घटने से प्रोडक्ट सस्ता हुआ, जिससे लोगों का पैसा बचा और महंगाई दर भी घटी।  


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