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SIP: 5000 रुपये का मंथली इन्वेस्टमेंट कब तक बन जाएगा 85 लाख का फंड?

एसआईपी में निवेश से एक बड़ा फंड आसानी से तैयार किया जा सकता है, शर्त बस इतनी है कि निवेश नियमित रहना चाहिए। एसआईपी से अच्छा रिटर्न पाने के लिए जल्द निवेश शुरू करना जरूरी है, क्योंकि ऐसे में कंपाउंडिंग को अपना जादू दिखाने का पूरा मौका मिल जाता है।

SIP Mutual Funds
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) म्यूचुअल फंड में निवेश का आसान तरीका है। SIP की सबसे खास बात यह है कि इसमें कम निवेश से भी शुरुआत की जा सकती है, जिससे इन्वेस्टमेंट आसान हो जाता है। इसके अलावा, SIP में साप्ताहिक, मासिक या त्रैमासिक (Quarterly) आधार पर निवेश किया जा सकता है। लोग अपनी वित्तीय स्थिति के आधार पर कभी भी अपनी निवेश राशि को एडजस्ट कर सकते हैं। निवेश राशि संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते से ऑटो-डेबिट हो जाती है।

जल्द निवेश अच्छा

आजकल लोग अपने फाइनेंशियल भविष्य को लेकर काफी सजग ही गए हैं। वह ऐसे निवेश विकल्पों की तलाश में रहते हैं, जो उन्हें एक बड़ा फंड बनाने में मदद करें। यहां हम जानेंगे कि किस तरह SIP में नियमित निवेश से आप एक बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि SIP में यदि आप जल्दी निवेश शुरू करते हैं और लॉन्ग टर्म के लिए उसे जारी रखते हैं, तो कंपाउंडिंग को अपनी शक्ति दिखाने का पूरा मौका मिलता है।

एसआईपी कैलकुलेशन

टारगेट कॉर्पस: 85 लाख रुपये मासिक निवेश: 5000 रुपये वार्षिक रिटर्न: 12 प्रतिशत हर महीने 5000 रुपये के निवेश से 85 लाख रुपये से अधिक की धनराशि जुटाने में लगभग 25 वर्ष लगेंगे।

इस तरह बढ़ेगा पैसा

10 वर्षों में 5000 रुपये के मासिक निवेश से इन्वेस्टमेंट अमाउंट होगा 6,00,000 रुपये, पूंजीगत लाभ 5,20,179 रुपये और अनुमानित कॉर्पस 11,20,179 रुपये हो जाएगा। इसी तरह, 15 वर्षों की अवधि में निवेश राशि 9,00,000 रुपये, पूंजीगत लाभ 14,79,657 रुपये और फंड 23,79,657 रुपये होगा।

ऐसे पहुंचेंगे लक्ष्य तक

20 वर्षों में 5000 रुपये की मंथली एसआईपी से निवेश राशि हो जाएगी 12,00,000 रुपये, पूंजीगत लाभ 33,99,287 रुपये और अनुमानित कॉर्पस 45,99,287 रुपये हो जाएगा। 25 वर्ष में निवेश राशि 15,00,000 रुपये होगी, पूंजीगत लाभ 70,11,033 रुपये और अनुमानित कॉर्पस 85,11,033 रुपये होगा। इस तरह आप अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे।

क्या है कंपाउंडिंग?

कंपाउंडिंग की बात करें, तो इसका मतलब है पहले मिले रिटर्न पर रिटर्न कमाना। इसे चक्रवृद्धि ब्याज भी कहते हैं। कंपाउंडिंग से समय के साथ धीरे-धीरे मूलधन और संचित ब्याज दोनों पर रिटर्न उत्पन्न करने में मदद मिलती है, जो लंबी अवधि में तेजी से वृद्धि में योगदान देता है। इसलिए चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति कई बार ऐसे परिणाम देती है कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है।


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