हाफ क्लच ड्राइविंग क्या होती है, कब पड़ती है इसकी जरूरत?
What is half clutch driving when is it needed: आपने कई बार हाफ क्लच ड्राइविंग के बारे में जरूर सुना होगा, चाहे आपके पास कार हो या नहीं। हालांकि, कई लोगों को इसके बारे में पता नहीं होता है कि इसकी जरूरत कब पड़ती है। कई बार लोग कहते हैं कि हाफ क्लच ड्राइविंग करने से गाड़ी में तकनीकी खामियां आने लगती हैं। यहां पर आपको बता रहे हैं कि हाफ क्लच ड्राइविंग क्या होती है और इसकी कब जरूरत पड़ती है। साथ ही ये भी बताएंगे की इसके क्या फायदे और नुकसान हैं।
कब पड़ती है इसकी जरूरत?
हाफ क्लच ड्राइविंग यानी जब आप फोर व्हीलर गाड़ी या कार को आधा क्लच दबाकर चलाते हैं। अगर आप कार चलाते हैं तो आपने महसूस किया होगा कि जब कार को समतल सड़क पर हाफ क्लच कर चलाते हैं तो गाड़ी में अलग सा वाइब्रेशन महसूस होता है। साथ ही इंजन भी नॉर्मल से ज्यादा आवाज करने लगता है। आपको बता दें कि हाफ क्लच का इस्तेमाल समतल जगहों पर नहीं किया जाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ पहाड़ी वाली सड़को पर करना चाहिए क्योंकि पहाड़ से उतरते समय गाड़ी की स्पीड अपने आप तेज हो जाती है। इसलिए इस स्थिति में हाफ क्लच का इस्तेमाल किया जाता है।
हाफ क्लच ड्राइविंग का नुकसान
हाफ क्लच में गाड़ी चलाने से उसके इंजन पर लोड पर पड़ता है क्योंकि गाड़ी को स्पीड पूरी मिलती है लेकिन क्लच उसे आगे बढ़ने नहीं देती है। अगर आप समतल सड़क पर इसका इस्तेमाल करते हैं तो इंजन में खराबी आ सकती है। इसके अलावा कार के ट्रांसमिशन के अंदर एक लीवर होता है, जिसे क्रॉस शाफ्ट भी कहा जाता है। इसका काम क्लच पैडल पर पड़ने वाले दाब को ट्रांसफर करना होता है। अगर इस स्थिति में शाफ्ट खराब हो जाती है तो पैडल को नीचे की ओर धकेलने में परेशानी आ सकती है। जिसके कारण कार में तकनीकी कमी आती हैं।
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