2025 के त्योहारी सीजन ने एक बार फिर साफ कर दिया कि भारत की कार खरीदने की पसंद किस दिशा में जाती है. सितंबर और अक्टूबर के दौरान सबसे ज्यादा भीड़ उन मॉडलों पर दिखी जिनकी कीमत 10 लाख रुपये से कम है. कुल बिक्री में इस सेगमेंट की हिस्सेदारी करीब 78% रही. 5 से 10 लाख रुपये वाला हिस्सा पूरी लिस्ट में सबसे ऊपर रहा, जबकि 5 लाख से कम कीमत वाली कारों ने भी अच्छा योगदान दिया.
GST बदलाव का असर
इस साल सबसे बड़ा बदलाव GST दरों की नई व्यवस्था रही. छोटे वाहनों और कॉम्पैक्ट SUVs पर टैक्स कम होने के बाद इसका असर तुरंत दिखा. कीमतें थोड़ी और नीचे आईं, जिससे ग्राहकों ने फिर से शोरूम का रुख करना शुरू कर दिया. नई 18% GST श्रेणी में आने वाले मॉडलों की बुकिंग्स अचानक लगभग 50% बढ़ गईं.
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GST की इस कटौती ने साबित किया कि यह सिर्फ एक सरकारी फैसला नहीं था, बल्कि इसका सीधा फायदा रिटेल बिक्री में दिखा. नवरात्रि से लेकर दिवाली तक डीलरशिप पर भीड़ इतनी थी कि कई जगह स्टाफ के लिए गाड़ियों की डिलिवरी की फाइलिंग भी चुनौती बन गई. SIAM के आंकड़े इस बढ़ती रफ्तार की पुष्टि करते हैं.
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रिकॉर्ड तोड़ बिक्री
सितंबर में सब-4-मीटर कार और SUV की बिक्री लगभग 1.7 लाख यूनिट थी, जो अक्टूबर में बढ़कर 2.2 लाख यूनिट के पार पहुंच गई. यह पिछले साल की तुलना में कहीं बेहतर आंकड़ा है. खास बात यह रही कि शहर और ग्रामीण बाज़ार—दोनों जगह मांग लगभग समान रूप से बढ़ी.
मारुति सुजुकी का सबसे बड़ा फायदा
इस उत्साह का सबसे ज्यादा लाभ मारुति सुजुकी को मिला. कंपनी ने बताया कि उसके कुल 5 लाख त्योहारी बुकिंग्स में से आधी सिर्फ छोटे कार सेगमेंट की थीं. GST कटौती से पहले इन मॉडलों की हिस्सेदारी 16.7% थी, जो बढ़कर 20.5% हो गई. शहरों और गांव दोनों जगह मारुति की एंट्री-लेवल और कॉम्पैक्ट कारों की मांग में 35% से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज हुई.
मिड और प्रीमियम सेगमेंट में भी उत्साह
छोटे वाहन ही नहीं, बड़े शहरों में 15 से 20 लाख रुपये वाले सेगमेंट की बिक्री भी करीब 26% बढ़ी. सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा 20 लाख रुपये से ऊपर की गाड़ियों का रहा, जिनकी बिक्री 40% से ज्यादा बढ़ी. यह दिखाता है कि प्रीमियम सेगमेंट में भी ग्राहकों की रुचि लगातार बढ़ रही है, चाहे आर्थिक माहौल कितना ही अनिश्चित क्यों न हो.
5 से 20 लाख रुपये की गाड़ियां
5 लाख से 20 लाख रुपये वाली कारों को भारत के ऑटो सेक्टर की ‘बैकबोन’ कहा जाता है. इस पूरे सेगमेंट में सालाना आधार पर 15–20% की स्थिर बढ़ोतरी देखी गई. यानी बाजार के निचले और मध्यम दोनों हिस्सों में त्योहारी सीजन ने इस बार भरपूर रौनक ला दी.
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