Is buying second hand luxury cars a good option: चमचमाती लग्जरी कार हर किसी को भाती है. शानदार डिजाइन, आरामदायक केबिन और दमदार परफॉर्मेंस ये सब मिलकर इसे खास बना देते हैं. लेकिन जब नई लग्जरी कार की कीमत सामने आती है, तो ज्यादातर लोगों का सपना वहीं रुक जाता है. ऐसे में सेकेंड हैंड लग्जरी कार एक ऐसा रास्ता बनकर सामने आती है, जो कम बजट में प्रीमियम कार का अनुभव देती है. हालांकि, यह सौदा जितना फायदेमंद लगता है, उतना ही जोखिम भरा भी हो सकता है. इसलिए सेकेंड हैंड लग्जरी कार खरीदने से पहले इसके फायदे और नुकसान दोनों को समझना बेहद जरूरी है.
क्यों लोग सेकेंड हैंड लग्जरी कार की ओर बढ़ रहे हैं
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आज के समय में कई लोग नई कार की जगह सेकेंड हैंड लग्जरी कार को चुन रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह कीमत है. नई लग्जरी कार के मुकाबले सेकेंड हैंड कार काफी सस्ती मिल जाती है, जिससे आम बजट में भी प्रीमियम ब्रांड की गाड़ी खरीदना संभव हो जाता है. इसके साथ ही लोग कम पैसों में बेहतर स्टेटस और शानदार ड्राइविंग एक्सपीरियंस चाहते हैं.
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पहला फायदा- नई कार के मुकाबले काफी सस्ती कीमत
सेकेंड हैंड लग्जरी कार खरीदने का सबसे बड़ा फायदा इसकी कम कीमत है. लग्जरी कारें पहले 3 से 5 साल में अपनी कीमत का 40 से 60 प्रतिशत तक खो देती हैं. यानी वही कार, जो नई होने पर बहुत महंगी थी, कुछ साल बाद आधी कीमत में मिल सकती है. इससे आप अपने बजट में बड़ी और ब्रांडेड कार खरीद पाते हैं.
दूसरा फायदा- शानदार फीचर्स और प्रीमियम फील
लग्जरी कारों में मिलने वाले फीचर्स आम कारों से कहीं ज्यादा होते हैं. पावर सीट्स, लेदर इंटीरियर, सनरूफ, एडवांस म्यूजिक सिस्टम, नेविगेशन और कई स्मार्ट टेक्नोलॉजी फीचर्स सेकेंड हैंड कार में भी मिल जाते हैं. इससे कम पैसों में आपको हाई-एंड कार जैसा अनुभव मिलता है.
तीसरा फायदा- बेहतर सेफ्टी और मजबूत क्वालिटी
लग्जरी कारों में सेफ्टी पर खास ध्यान दिया जाता है. इनमें एयरबैग्स, ABS, EBD, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल, ट्रैक्शन कंट्रोल और पार्किंग सेंसर जैसे फीचर्स आम तौर पर मिलते हैं. इसके अलावा, इनमें इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स और मैटेरियल की क्वालिटी भी बेहतर होती है, जिससे कार लंबे समय तक टिकाऊ रहती है.
अब सेकंड हैंड लग्जरी कार खरीदने के सिर्फ फायदें ही नहीं होते कुछ ऐसी बातें भी है जो नुकसान साबित हो सकती हैं.
पहला नुकसान- मेंटेनेंस और सर्विस का भारी खर्च
जहां कीमत कम लगती है, वहीं मेंटेनेंस जेब पर भारी पड़ सकता है. लग्जरी कारों की सर्विस और रिपेयर काफी महंगी होती है. कई मामलों में सालाना मेंटेनेंस का खर्च एक लाख रुपये या उससे ज्यादा भी हो सकता है, खासकर अगर आप ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर में कार सर्विस कराते हैं.
दूसरा नुकसान- स्पेयर पार्ट्स की कीमत और उपलब्धता
लग्जरी कारों के स्पेयर पार्ट्स आसानी से नहीं मिलते और अगर मिल भी जाएं तो उनकी कीमत काफी ज्यादा होती है. किसी बड़े पार्ट के खराब होने पर रिप्लेसमेंट का खर्च आपकी उम्मीद से कहीं ज्यादा हो सकता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
तीसरा नुकसान- माइलेज और फ्यूल खर्च
ज्यादातर लग्जरी कारें दमदार इंजन के साथ आती हैं, लेकिन इसका असर माइलेज पर पड़ता है. ये कारें ज्यादा पेट्रोल या डीजल खर्च करती हैं. अगर आपकी रोजाना ड्राइविंग ज्यादा है, तो फ्यूल का खर्च तेजी से बढ़ सकता है.
चौथा नुकसान- पुराना मॉडल और तकनीकी दिक्कतें
बजट के हिसाब से सेकेंड हैंड लग्जरी कार लेने पर आपको पुराना मॉडल ही चुनना पड़ता है. इससे नए मॉडल में मिलने वाले लेटेस्ट फीचर्स और टेक्नोलॉजी का फायदा नहीं मिल पाता. इसके अलावा, कार पुरानी होने की वजह से इलेक्ट्रॉनिक या मैकेनिकल समस्याएं आने की संभावना भी रहती है, जिनकी मरम्मत महंगी होती है.
आखिर फैसला क्या होना चाहिए
सेकेंड हैंड लग्जरी कार खरीदना एक स्मार्ट फैसला हो सकता है, अगर आप पूरी रिसर्च के साथ आगे बढ़ें. कार की कंडीशन, सर्विस हिस्ट्री और डॉक्यूमेंट्स की अच्छी तरह जांच करें और मेंटेनेंस खर्च के लिए पहले से तैयार रहें. अगर फायदे और नुकसान को समझकर फैसला लिया जाए, तो कम कीमत में लग्जरी कार का सपना सच किया जा सकता है, वरना जल्दबाजी में लिया गया फैसला परेशानी का कारण भी बन सकता है.
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