Rapido Bike Taxi Ban: यहां नहीं चलेगी रैपिडो की बाइक और टैक्सी! कार्ट ने दिया आदेश
Rapido Bike Taxi Ban: थोड़ी सस्ती सवारी की पेशकश के लिए बहुत जल्दी रैपिडो ने लोकप्रियता हासिल कर ली है। तमाम लोग इसकी टैक्सी या बाइक की सेवा लेते हैं। हालांकि, अब इसकी सेवा पर प्रतिबंध लग गया है। महाराष्ट्र में रहने वाले लोगों के लिए रैपिडो की सेवा उपलब्ध नहीं होगी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने रैपिडो को अपनी बाइक-टैक्सी सेवा को निलंबित करने का निर्देश दिया है। आइए इसके बारे में जानते हैं।
इस वजह से रैपिडो की सेवाएं निलंबित
बॉम्बे हाईकोर्ट ने रैपिडो पर इसलिए रोक लगाई क्योंकि इसके पास संचालित करने का लाइसेंस नहीं था, जिसका मूल रूप से मतलब है कि ये देश में अवैध रूप से चल रही है। दरअसल, कोर्ट ने कंपनी को अपने कानूनी कार्यों का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था, लेकिन रैपिडो अदालत में सामग्री उपलब्ध नहीं करा सका। इसलिए बाइक-टैक्सी सेवा को निलंबित किया गया।
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20 जनवरी तक दोपहिया यात्री सेवा बंद
बॉम्बे हाईकोर्ट ने रैपिडो को अपनी दोपहिया यात्री सेवा, दोपहिया पार्सल सेवा और ऑटो सेवा बंद करने का निर्देश दिया है। रैपिडो ने महाराष्ट्र सरकार से उसे राज्य में दोपहिया बाइक टैक्सी चलाने के लिए लाइसेंस देने के लिए कहा था, लेकिन उसके अनुरोध को खारिज कर दिया गया क्योंकि राज्य ने अभी तक केवल बाइक टैक्सी के संचालन के लिए कोई नीति तैयार नहीं की है। बता दें कि कोर्ट ने रैपिडो पर 20 जनवरी तक बैन लगाया है।
अदालत ने राज्य में बाइक टैक्सी की अनुमति देने वाली एक अविश्वसनीय नीति तैयार करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को भी फटकार लगाई है, साथ ही दोपहिया टैक्सी सेवाओं के लिए नीति या दिशानिर्देशों पर स्पष्टता मांगी है।
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सरकार की ओर से अदालत में मौजूद महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने दावा किया है कि उबर जैसी अन्य टैक्सी सेवाओं (Taxi Service), जिनके पास बाइक टैक्सी (Bike Taxi) भी हैं, उनके खिलाफ मुकदमा शुरू किया गया है। इसके बाद अदालत ने सरकार से कहा कि वह "मुद्दे को आग पर लटकाए नहीं रख सकती है और उसे तुरंत निर्णय लेना होगा।"
इसके अलावा लोकप्रिय राइड-हेलिंग कंपनी ओला (OLA) ने कथित तौर पर अपनी कंपनी से 200 लोगों को निकाल दिया है। छंटनी प्रौद्योगिकी और उत्पाद टीमों में की जाती है। ये पहली बार नहीं है जब कंपनी ने लोगों को निकाला है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल कैब एग्रीगेटर ने करीब 1100 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था।
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