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Mangla Gauri Vrat: इस कथा के बिना अधूरा है आपका मंगला गौर व्रत, मन मांगी मुराद के लिए जरूर पढ़ें

Mangla Gauri Vrat 2022: आज मां मंगला गौरी का पावन व्रत है। सावन मास में पड़ने वाले हर एक मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत का व्रत रखा जाता है। इस दिन माता पार्वती के मंगला गौरी रूप का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि मां मंगला गौरी प्रसन्न होकर महिलाओं को अखंड सौभाग्य […]

Mangla Gauri Vrat 2022: आज मां मंगला गौरी का पावन व्रत है। सावन मास में पड़ने वाले हर एक मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत का व्रत रखा जाता है। इस दिन माता पार्वती के मंगला गौरी रूप का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि मां मंगला गौरी प्रसन्न होकर महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहन कर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लेती हैं। इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा कर मां पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति के साथ ही भगवान गणेश जी की भी मूर्ति स्थापित करती है। इसके बाद मां पार्वती को सिंदूर का तिलक लगाकर घी का दीपक जलाती हैं। साथ ही सुहाग का सामान जैसे कि लाल चूड़ियां, लाल बिंदी, लाल चुनरी, मेहंदी आदि माता पार्वती को अर्पित कर पूजा करती हैं। इसके बात मां मंगला गौर व्रत की कथा पढ़ती हैं।

मंगला गौरी की व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha)

पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, धर्मपाल नाम का एक सेठ था। सेठ धर्मपाल के पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। वह हमेशा सोच में डूबा रहता कि अगर उसकी कोई संतान नहीं हुई तो उसका वारिस कौन होगा? कौन उसके व्यापार की देख-रेख करेगा? इसके बाद गुरु के परामर्श के अनुसार, सेठ धर्मपाल ने माता पार्वती की श्रद्धा पूर्वक पूजा उपासना की। खुश होकर माता पार्वती ने उसे संतान प्राप्ति का वरदान दिया, लेकिन संतान अल्पायु होगी। कालांतर में धर्मपाल की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। इसके बाद धर्मपाल ने ज्योतिषी को बुलाकर पुत्र का नामांकरण करवाया और उन्हें माता पार्वती की भविष्यवाणी के बारे में बताया। ज्योतिषी ने धर्मपाल को राय दी कि वह अपने पुत्र की शादी उस कन्या से कराए जो मंगला गौरी व्रत करती हो। मंगला गौरी व्रत के पुण्य प्रताप से आपका पुत्र दीर्घायु होगा। इसके बाद सेठ धर्मपाल ने अपने इकलौते पुत्र का विवाह मंगला गौरी व्रत रखने वाली एक कन्या से करवा दिया। कन्या के पुण्य प्रताप से धर्मपाल का पुत्र मृत्यु पाश से मुक्त हो गया। तभी से मां मंगला गौरी के व्रत करने की प्रथा चली आ रही है।


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