विवाह पंचमी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रभु श्रीराम और सीता माता का विवाह मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को हुआ था। यही वजह है कि इस दिन को लोग विवाह पंचमी के तौर पर मनाते हैं। इसके अलावा इस तिथि को लोग भगवान राम और माता जानकी के वैवाहिक वर्षगांठ के तौर पर भी मनाते हैं। धार्मिक परंपरा के अनुसार, इस दिन लोग अपने-अपने घरों में माता सीता और प्रभु श्रीराम की विधिवत पूजन करते हैं।सीता-राम की जोड़ी है आदर्श
सनातन परंपरा में प्रभु श्रीराम और माता सीता को आदर्श पति-पत्नी के रूप में देखा जाता है। अक्सर लोग इनकी जोड़ी का उदाहरण पेश करते हैं कि किस प्रकार माता सीता ने भी किस प्रकार कष्टों झेलते हुए भी प्रभु श्रीराम का हर पर साथ दिया था। हर शादीशुदा इंसान चाहता है कि उसकी जोड़ी सीता-राम के समान हो। कई बार तो बड़े-बुजुर्ग नवदंपत्ति को आशीर्वाद के तौर पर राम-सीता की भी उल्लेख करते हैं। हलांकि इसके बावजूद भी विवाह पंचमी को शादी के लिए अशुभ माना जाता है। यह भी पढ़ें: Vivah Panchami 2023: विवाह पंचमी पर बन रहे हैं खास संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और योगविवाह पंचमी पर क्यों नहीं होती है शादी
दरअसल इस बारे में मान्यता ऐसी है कि विवाह पंचमी के दिन शादी करने के बाद ही प्रभु श्रीराम और माता सीता को 14 वर्षों का वनवास झेलना पड़ा था। इस दौरान उन्हें कई प्रकार के कष्टों को भी झेलना पड़ा था। इतना ही नहीं, रावण-वध के बाद जब दोनों अयोध्या लौटे तो भगवान श्रीराम को माता सीता का परित्याग करना पड़ा था। यही वजह है कि विवाह पंचमी को शादी के लिए अशुभ माना जाता है।
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