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साल 2024 में कुल कितने हैं उपनयन-मुंडन के शुभ मुहूर्त, जानें यहां-

Upnayan-Mundan Muhurat 2024: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल 2024 में उपनयन और मुंडन के लिए कुल 8 शुभ मुहूर्त है। तो आइए उन मुहूर्त के बारे में जानते हैं।

upnayan-mundan Muhurat 2024
Upnayan-Mundan Muhurat 2024:  हिंदू धर्म में 16 संस्कार होते हैं, जिनमें से एक उपनयन और मुंडन संस्कार होता है। जो बेहद ही खास होता है। यह दोनों संस्कार बाल्यावस्था में ही होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाल्यावस्था में पहली बार बाल कटवाने की परंपरा को मुंडन कहा जाता है। इसमें बाल कटवाने के साथ विधि-विधान से पूजा-पाठ भी होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उपनयन संस्कार को यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता है। इस संस्कार में बालक को बचपन में ही जनेऊ धारण करवाया जाता है। यू कहा जाएं तो यह एक बहुत ही बड़ा यज्ञ की तरह ही होता है। जिसमें विधि-विधान से पूजा-पाठ किया जाता है। सनातन धर्म में उपनयन संस्कार में कई दिनों तक पूजा-पाठ किया जाता है। इसके लिए शुभ मुहूर्त का होना बेहद ही आवश्यक होता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि साल 2024 में कुल कितने उपनयन के लिए शुभ मुहूर्त रहने वाला है। साथ ही यह किस महिने में संपन्न होगा।

जानें साल 2024 में उपनयन संस्कार का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में उपनयन और मुंडन  के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है तभी इसे संपन्न किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2024 में फरवरी माह से लेकर जुलाई माह तक कुल 8 शुभ मुहूर्त है। इस विशेष मुहूर्त पर उपनयन और मुंडन संस्कार किया जा सकता है। तो आइए शुभ तिथि के बारे में जानते हैं। यह भी पढ़ें- हाथ की लकीरों में छिपा है किस्मत का राज, जानें कब मिलेगी आपको सफलता ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल 2024 में कुल 8 उपनयन और मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त है। जिसमें फरवरी में 19 और 20 तारीख को है। वहीं मार्च महीने में 20 और 21 तारीख को शुभ मुहूर्त है, अप्रैल माह में 18 और 19 तारीख और जुलाई में 8 और 10 तारीख मुंडन और उपनयन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त है।

जानें उपनयन संस्कार का क्या है मान्यता

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उपनयन संस्कार चार दिनों तक चलने वाला चार दिवसीय यज्ञ के तौर पर मनाया जाता है। उपनयन के पहला दिन बस कट्टी की रस्म निभाई जाती है, दूसरे दिन घृतधारी, मटकोर पूजा किया जाता है। उसके बाद तीसरे दिन जनेऊ संस्कार विधि-विधान से की जाती है साथ ही चौथे दिन चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह संस्कार हिंदू धर्म में बेहद ही खास होता है। यह भी पढ़ें- घर के मुख्य द्वार पर लटकाएं घोड़े की नाल, पल भर में हो जाएंगे मालामाल डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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