तिलक का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि माथे पर तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ती है। खुद पर संयम बना रहता है और आत्मशक्ति में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि तिलक के बिना देवता-पितर की पूजा, स्नान-दान, जप और यज्ञ से मिलने वाले शुभ फल प्राप्त नहीं होते। मतलब उपरोक्त सारे कार्म निष्फल हो जाते हैं। इसके बारे में शास्त्रों में कहा गया है "स्नाने दाने जपे होमो,देवता पितृकर्म च, तत्सर्वं निष्फलं यांति ललाटे तिलकं विना"।कितने प्रकार के हैं तिलक?
सनातन धर्म में मुख्य रूप से तीन प्रकार के संप्रदाय हैं- शैव (जो शिव जी के उपासक हैं), शाक्त (शक्ति यानी काली, दुर्गा और मां पार्वती की उपासना करने वाले) और वैष्णव (भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के उपासक)किस संप्रदाय के लोग कैसा तिलक लगाते हैं?
शैव संप्रदाय में आस्था रखने वाले मस्तक पर त्रिपुण्ड (चंदन का एक प्रकार) लगाते हैं। जबकि शक्ति के उपासक माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाते हैं। हालांकि शाक्त संप्रदाय को मानने वाले कुछ लोग त्रिपुंड के संग-संग लाल टीका भी लगाते हैं। वहीं वैष्णव संप्रदाय में अपनी आस्था रखने वाले मस्तक पर ऊपर की ओर पुण्ड (चंदन का एक प्रकार) लगाते हैं जो कि गुरु के द्वारा बताए गए होते हैं। कृष्ण जी के उपासक श्याम (काला) तिलक लगाते हैं।तिलक लगाने में उंगली का महत्व
अंगूठे से तिलक लगाने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। मध्यमा (बीच वाली उंगली) से चंदन लगाने पर धन की प्राप्ति होती है। अनामिका (रिंग फिंगर) से टीका लगाने पर जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। तर्जनी (अंगूठे के बाद वाली उंगली) से चंदन लगाने पर शत्रु शांत रहते हैं। साथ ही सफलता की प्राप्ति होती है।भगवान को किस उंगली से लगाएं तिलक?
सनातन धर्म शास्त्रों के मुताबिक भगवान को मध्यमा या अनामिका उंगली से तिलक लगाना चाहिए। यह भी पढ़ें: धनु संक्रांति किन छह राशियों के लिए है शुभ? यहां जानिए
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।