सर्वपितृ अमावस्या पर 178 साल बाद दुर्लभ संयोग
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जिस दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लेगेगा। उस दिन ग्रहों की स्थिति से बुधादित्य योग का निर्माण होगा। दरअसल इस दिन सूर्य और बुध एक साथ कन्या राशि में विराजमान रहेंगे। इसके अलावा इस दिन सर्वपितृ अमावस्या भी है। जानकार बता रहे हैं कि साल 1845 में आश्विन सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण का संयोग बना था। जिसके बाद 14 अक्टूबर 2023 को 178 साल बाद फिर से सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का संयोग बन रहा है। इसके अलावा इस दिन शनिवार होने की वजह से शनि अमावस्या का भी खास संयोग बन रहा है। ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या के दिन पतृकर्म और पुण्य कर्म करना शुभ फलदायी साबित होगा। साथ ही इस दिन पितरों के निमित्त जो भी कार्य किए जाएंगे, वह पितरों को संतुष्टि प्रदान करेगी। इतना ही नहीं, इस दिन किए कार्यों को फल गई गुणा अधिक प्राप्त होगा।सर्वपितृ अमावस्या पर कर सकते हैं ये 5 पुण्य कार्य
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य देव को अर्घ्य जरूर देना चाहिए। ध्यान रहे कि इस जल में कुमकुम मिलाकर भगवान भस्कर को अर्पित करना शुभ है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन किसी नदी या तालाब में जाकर वहां 3-3 अंजुली जल लेकर सभी पितरों के नाम से अर्पित करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपनी राशि के अनुसार अन्न और वस्तुओं का दान जरूरतमंदों के बीच करना चाहिए। इस दिन दान कर्म के लिए बाह्मण देव उपयुक्त माने गए हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन कराना सर्वोत्तम कर्म माना जाता है। ऐसे में अगर आप भी पितरों को संतुष्ट करना चाहते हैं तो इस दिन ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करें। मान्यता है कि इस दिन ऐसा करने से वंश की वृद्धि होती है। साथ ही पितरों का भरपूर आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिसके घर-परिवार भी खुशहाल रहता है।
डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।