मां दुर्गा की प्रतिमा से जुड़े वास्तु नियम
उत्तर-पूर्व की दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। ऐसे में इस दिशा में मां दुर्गा की प्रतिमा लगना शुभ माना गया है। वास्तु के मुताबिक उत्तर-पूर्व दिशा परिवार को सकारात्मक उर्जा प्रदान करती है। इस दिशा में मां की उपसना करने से मनोकामना पूर्ण होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मां दुर्गा की प्रतिमा पश्चिम दिशा में नहीं करनी चाहिए। दरअसल इस दिशा में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने से नकारात्मकता बढ़ती है। यहां स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा की उपासना करने से विध्न और रुकवटें आती हैं, क्योंकि पश्चिम उच्चाटन की दिशा मानी गई है। यह भी पढ़ें: नवरात्रि में आप भी करते हैं दुर्गा चालीसा का पाठ? भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना होगा उल्टा असर वास्तु शास्त्र के मुताबिक, दक्षिण दिशा में भी मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करके पूजा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इस दिशा में मां की मूर्ति आक्रामकता और संघर्ष को बढ़ाती है। ऐसे में हर भक्त को इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कैसे करें दुर्गा मूर्ति की स्थापना पंडित सुरेश पांडेय जी के मुताबिक मां दुर्गा की प्रतिमा घर में ऐसे स्थान पर स्थापित करन चाहिए, जहां शोर-शराबा ना हो। मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना घर में शांति वाले स्थान पर करना चाहिए। इसके साथ ही जिस स्थान पर भरपूर रोशनी आती हो, वहां मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए। पूजा घर में भी पूर्व दिश की ओर ही मां की मूर्ति की स्थापना करें। मां दुर्गा की प्रतिमा को साफ और ऊंची सतह पर पश्चिम की ओर पीठ करके स्थापित करें। ध्यान रहे हैं कि घर में स्थापित की जाने वाली मां की मूर्ति में अगर शेर का मुंह खुला हो तो उसमें एक दाना मिश्री जरूर डाल दें। क्योंकि ऐसा ना करने पर पूजा में विघ्न उत्पन्न हो सकता है। यह भी पढ़ें: रोग निवारण, शत्रु नाश और मनोकामना पूर्ति के लिए नवरात्रि में करें रामचरितमानस के 10 मंत्रों का जाप, सफल हो जाएगा जीवन
डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।