Shaniwar Ke Upay: शनिवार को इन उपायों से बदल जाएगी किस्मत, मां लक्ष्मी भी होंगी मेहरबान
Shaniwar Ke Upay: आज फरवरी 2023 का पहला शनिवारि और माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का अंतिम शनिवार है। हिंदू सनातन धर्म में शनि देव और शनि ग्रह को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। हिंदू धर्म में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन खास तरीके से पूजा-अर्चना की जाती है। इससे जीवन में सुख समृद्धि आती है घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।
शनिवार को पूजा से प्रसन्न होते हैं शनि देव
जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में लोग शनि देव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। मान्यता के अनुसार शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं।
हनुमानजी की पूजा से प्रसन्न होते हैं शनिदेव
मान्यता के मुताबिक शनिवार को हनुमान जी की पूजा से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद हनुमान जी की पूजा करने से शनि देव विशेष रूप से खुश होते हैं। हनुमानजी की पूजा में सिंदूर रखा जाता है और आरती के लिए दीप जलाने के लिए काले तिल के तेल का इस्तेमाल करते हैं. पूजा में नीले फूल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।
शनि यंत्र स्थापित करने से मिलता है लाभ
शनि के प्रकोप के कारण यदि किसी व्यक्ति का जीवन संकट में घिरा हुआ है तो शनिवार के दिन शनि यंत्र की स्थापना कर उसकी पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। इस यंत्र की हर दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इससे शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं। शनि यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर और रोजाना नीले फूल चढ़ाने से भी शनि देव की कृपा बनी रहती है।
शनि मंत्र का जाप होता है फलदायी
मान्यता है कि शनिवार के दिन शनि मंत्रों के विधिवत जाप से शनिदव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है। साधकों के जीवन से शनि के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। इसके अलावा, शनिवार के दिन शनि देव की व्रत करने चाहिए। शनि संबंधित चीजों का दान करें। गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
शनि महामंत्र
ऊं नीलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनिश्चरम।।
शनि दोष निवारण
मंत्र ऊं त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्।।
शनि का वैदिक
मंत्र ऊं भगभवाय विद्महैं मृत्युरूपाय धीमहि तन्नो शनि: प्रचोद्यात्।
ऊं शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिश्रवन्तु न:।
शनि का तांत्रिक
मंत्र ऊं प्रां प्रीं प्रौं शनिश्चराय नमः।
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