Ram Mandir Inauguration : कौन हैं चार शंकराचार्य, अयोध्या मंदिर को लेकर जिनके नाम पर हो रही चर्चा
राम कथा
Ram Mandir Inauguration 4 Shankaracharya : राम सिया राम...की कड़ी में रामचरित मानस से जुड़े किस्से कहानियों पर हम लोग प्रतिदिन आपके समक्ष रोचक किस्से आप लोगों तक शेयर करते आ रहे हैं। आज इसी कड़ी में हम लोग उन शंकराचार्य के विषय में आपको बताएंगे, जोकि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर चर्चा के विषय बने हैं।
अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की तिथि धीरे-धीरे अब नजदीक आती जा रही है।
देश में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर भी उत्साह दिखने लगा है। राज्य सरकार, केंद्र सरकार और आमजन तक सभी इस आयोजन को लेकर खुशियों से सराबोर हैं। वहीं देश के चार प्रमुख धार्मिक पीठों के शंकराचार्यों ने राम मंदिर समारोह का न्योता अस्वीकार कर दिया है और वे इस समारोह में शामिल नहीं होंगे। तो आइए जानते हैं इन चारों शंकराचार्य के बारे में...
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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज
ज्योतिर्मठ, बदरिका उत्तराखंड के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज इस मठ के 46वें शंकराचार्य हैं। ये शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद के परलोक गमन के बाद इस मठ के शंकराचार्य नियुक्त हुए और तभी से इस मठ की गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। इन्होंने राम मंदिर उद्घाटन को लेकर नाराजगी जाहिर की है और साथ ही मंदिर के उद्घाटन समारोह को शास्त्रोक्त विधि सम्मत होना स्वीकार नहीं किया है।
शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती महाराज
गोवर्धन पीठ, पुरी के शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती महाराज ये गोवर्धन मठ के 145वें शंकराचार्य हैं । इन्होंने भी श्रीराम मंदिर उद्घाटन का न्योता ठुकरा दिया है और कहा है कि राम जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए। इसीलिए वहां मेरा जाना उचित नहीं है।
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शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ महाराज
श्रृंगेरी पीठ, कर्नाटक के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ महाराज कई भाषाओं के प्रकांड पंडित हैं। इन्होंने शिक्षा का प्रचार-प्रसार कर ख्याति प्राप्त की थी। इन्होंने मंदिर उद्घाटन को लेकर कोई अधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि मंदिर उद्घाटन समारोह में शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ महाराज भी शामिल नहीं होंगे।
शंकराचार्य सदानंद महाराज
शारदा मठ, गुजरात के शंकराचार्य सदानंद महाराज भी कई भाषाओं का ज्ञान रखते हैं और ये बचपन में ही शिक्षा बीच में ही छोड़ कर स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती की सेवा में चले गए। इन्होंने मंदिर समारोह को लेकर कहा है कि समारोह में मर्यादा का पूरा पालन किया जाना चाहिए।
डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
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