डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, सावन मास की आखिरी एकादशी यानी पुत्रदा एकादशी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त को रात 12 बजकर 37 मिनट से हो रही है। जबकि एकदाशी तिथि का समापन 27 अगस्त को रात 10 बजकर 12 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत 27 अगस्त, रविवार को रखा जाएगा। वहीं इस दिन पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर सुबह 7 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस अवधि में पूजा करना शुभ रहेगा। यह भी पढ़ें: 4 सितंबर को व्रकी होने जा रहे हैं गुरु ग्रह, इन राशि वालों को होगा छप्परफाड़ धन-लाभएकादशी पर ये काम करना रहेगा शुभ
पैराणिक मान्यता के अनुसार पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन एकादशी व्रत कथा का पाठ करना बेहद लाभकारी साबित होता है। वहीं कई जानकार तो यहां तक कहते हैं कि बिना एकदशी व्रत कथा का पाठ किए व्रत पूरा नहीं होता है। तो ऐसे में व्रत से मिलने वाले लाभ कहां मिलेंगे। ऐसे में खासतौर पर व्रती महिलाएं, संतान की प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी पर ऐसे करें पूजन- धर्म शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के जानकार पंडित धनंजय पाण्डेय के अनुसार, पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी की माला अर्पित करना चाहिए। चूंकि यह पुत्रदा एकादशी पवित्र सावन मास में पड़ रही है। ऐसे में इस एकादशी के दिन शिवजी को जल अर्पित करने के साथ-साथ उन्हें 108 या फिर 54 बेलपत्र की माला बनाकर अर्पित करें। मान्यता है कि इस दिन ऐसा करने से जॉब और बजनेस में अपार सफलता के साथ-साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ संतान की प्राप्ति भी होती है और संतान की उम्र भी लंबी होती है। पंडित जी के अनुसार, पुत्रदा एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना सोने पर सुहागा जैसा काम करेगा।
- पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी की माला अर्पित करें। इसके साथ ही भोलेनाथ को 108 बेलपत्र की माला चढ़ाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से नौकरी-बिजनेस में अपार सफलता के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी। पुत्रदा एकादशी के दिन करें ये पाठ हर काम में सफलता पाने के साथ हर क्षेत्र में नाम कमाने के लिए पुत्रदा एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।