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Ekadashi Shradh 2023: पितृ पक्ष का एकादशी श्राद्ध आज, जानें समय, पूजा विधि और महत्व

Ekadashi Shradh 2023: सनातन परंपरा में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसे में इस दिन किया गया तर्पण कार्य पितरों को संतुष्टि प्रदान करने वाले होते हैं।

Ekadashi shradh 2023
Ekadashi Shradh 2023: पितृ पक्ष चल रहे है और इस क्रम में आश्विन मास की एकादशी पर आज एकादशी श्राद्ध किया जाएगा। एकादशी श्राद्ध करने के लिए सबसे शुभ मुहूर्त कुतुप और रौहिण होते हैं। जो कि अक्सर होपहर से समय रहता है। पितृ पक्ष में एकादशी का श्राद्ध का बड़ा महत्व है। सनातन परंपरा में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसे में इस दिन किया गया तर्पण कार्य पितरों को संतुष्टि प्रदान करने वाले होते हैं। पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का श्राद्ध इन्दिरा एकादशी श्राद्ध से जाना जाता है। इंदिरा एकादशी श्राद्ध उन लोगों के लिए तो होता ही है जिनकी एकादशी तिथि का समय श्राद्ध के लिए होता है इसके साथ ही सामान्य रुप से भी इस दिन अपने पितरों को याद करना शुभ होता है। आइए जानते हैं एकादशी श्राद्ध के लिए शुभ समय, तर्पण विधि और महत्व।

एकादशी श्राद्ध शुभ मुहूर्त

एकादशी श्राद्ध सोमवार, अक्टूबर 9, 2023 को कुतुप मूहूर्त - 12:02 पी एम से 12:49 पी एम अवधि - 00 घण्टे 47 मिनट्स रौहिण मूहूर्त - 12:49 पी एम से 01:37 पी एम अवधि - 00 घण्टे 47 मिनट्स अपराह्न काल - 01:37 पी एम से 03:59 पी एम अवधि - 02 घण्टे 22 मिनट्स एकादशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 09, 2023 को 12:36 पी एम बजे एकादशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 10, 2023 को 03:08 पी एम बजे यह भी पढ़ें: Dhanteras 2023: धनतेरस पर कुबेर से जुड़ी 1 चीज की कर लें स्थापना, बढ़ती जाएगी धन-दौलत

एकादशी श्राद्ध पूजा-विधि

  • श्राद्ध कर्म में पिंडदान, तर्पण को योग्य विद्वान ब्राह्मण के माध्यम से ही किया जाना चाहिए। श्राद्ध कर्म में ब्राह्मणों को पूरी भक्ति के साथ दान दिया जाता है। साथ ही गरीब, जरूरतमंदों को दान करना भी उत्तम माना गया है। इसके अलावा एकादशी श्राद्ध में भोजन का एक भाग पशु-पक्षियों जैसे- गाय, कुत्ते, कौए आदि के लिए अवश्य रखना चाहिए।
  • श्राद्ध कर्म के कार्य को पवित्र नदियों एवं धर्म स्थानों में करना भी शुभ होता है इसके लिए गंगा नदी के तट पर करना काफी प्रभावी होता है। अगर यह संभव नहीं है तो इसे घर पर भी किया जा सकता है। श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोज करना चाहिए। भोजन के बाद दान देकर उन्हें संतुष्ट करें। श्राद्ध पूजा दोपहर में शुरू करनी चाहिए।
  • एकादशी श्राद्ध के दिन श्राद्ध और तर्पण के साथ पिंडदान करना चाहिए। हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इन्दिरा एकादशी श्राद्ध कहते हैं।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पितृ पक्ष में पड़ने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पिंडदान और तर्पण आदि करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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