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Navratri Seventh Day: माता के 7वें स्वरूप माता कालरात्रि की ये है विशेषता, जानें महत्व

Navratri Seventh Day: आज नवरात्रि का सातवां दिन है। नवरात्रि के समापन के क्रम में सप्तम दिवस (Navratri Seventh Day) हम मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की आराधना करते है। जीवन का अंतिम सत्य केवल काल यानि मृत्यु ही है। माता का यह स्वरूप हमें काल के सत्य का साक्षात्कार कराता है। मां कालरात्रि का वर्ण […]

Navratri Seventh Day: आज नवरात्रि का सातवां दिन है। नवरात्रि के समापन के क्रम में सप्तम दिवस (Navratri Seventh Day) हम मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की आराधना करते है। जीवन का अंतिम सत्य केवल काल यानि मृत्यु ही है। माता का यह स्वरूप हमें काल के सत्य का साक्षात्कार कराता है। मां कालरात्रि का वर्ण भी काला दिखाई देता है। मां का यह स्वरूप काल से अत्यधिक संबन्धित है। काल के गर्भ में ही जन्म और मृत्यु का चक्र चलता रहता है। निश्चित समय पूर्ण होने पर सभी काल में समा जाते है, परंतु जो काल के ऊपर भी प्रतिष्ठित है वह इस आदि शक्ति, महाशक्ति कालरात्रि का स्वरूप है। अभी पढ़ें Navratri 2022: यहां सबसे पहले मुस्लिम महिलाएं करती हैं मां कालरात्रि की पूजा, जानें इस मंदिर से जुड़ी आस्था मां का यह स्वरूप सारी नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत, दानव, पिशाच का क्षय कर देता है। प्रत्येक व्यक्ति मृत्यु के भय से भयभीत होता है और मां कालरात्रि की उपासना मानव को निर्भीक एवं निडर बनाती है। कई बार कुण्डली में प्रतिकूल ग्रहों द्वारा अनेक मृत्यु बाधाएं होती है इससे जातक डरा-सहमा महसूस करता है। परंतु मां कालरात्रि अग्नि, जल, शत्रु एवं जानवर आदि के भय से भी मुक्ति प्रदान करती है। नाम के अनुरूप ही मां का स्वरूप अतिशय भयानक एवं उग्र है। भयानक स्वरूप रखने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को शुभफल प्रदान करती है। घने अंधकार की तरह मां के केश गहरे काले रंग के है। त्रिनेत्र, बिखरे हुए बाल एवं प्रचंड स्वरूप में माँ दिखाई देती है। माँ के गले में विद्युत जैसी छटा देने वाली सफ़ेद माला दिखाई देती है। मां कालरात्रि के चार हाथों में ऊपर उठा हुआ दाहिना हाथ वरमुद्रा में, नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाएं तरफ के ऊपर के हाथ में खड़ग एवं नीचे के हाथ में कांटा है। मां कालरात्रि का वाहन गदर्भ है। मां ने वस्त्र स्वरूप में लाल वस्त्र और बाघ के चमड़े को धारण किया हुआ है। अभी पढ़ें Navratri 2022: इस मंदिर में माता कालरात्रि की पूजा करने से घर में गूंजती है किलकारियां ! नवरात्रि के प्रथम दिवस हमनें दृढ़ता, द्वितीय दिवस सद्चरित्रता, तृतीय दिवस मन की एकाग्रता, चतुर्थ दिवस असीमित ऊर्जाप्रवाह व तेज, पंचम दिवस वात्सल्य एवं प्रेम, छठवे दिवस अपने भीतर की आसुरी प्रवृत्तियों का नाश तथा सप्तम दिवस मृत्यु के भय से मुक्ति प्राप्त की है। नवरात्रि में मां की आराधना हमें जीवन में सफलता के सभी मूलमंत्र एवं सूत्र प्रदान करती है। हमारा अन्तर्मन निर्मल और शरीर विकारों से रहित हो जाता है। बालक यदि सच्चे हृदय से मां को पुकारे तो मां बालक की पुकार कभी निष्फल नहीं जाने देती। अभी पढ़ें – आज का राशिफल यहाँ पढ़ें


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