Sharadiya Navratri 2023: नवरात्रि पर्व की शुरुआत हो चुकी है। आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में नौ दिन व्रत करने का विधान है। इसके साथ ही मां दुर्गा के नव स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो जातक विधि-विधान से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि में व्रत के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ही जरूरी होता है। तो आइए उन बातों के बारे में जानते हैं।
अक्सर व्रत के दौरान लोगों के मन में बुरे ख्याल जरूर आ जाते हैं। ऐसे में लोग घबराने लगते हैं। ऐसे ही अगर नवरात्रि में व्रत के दौरान या पूजा करते समय मन में बुरे विचार आने लगता है, तो लोग के मन में अलग-अलग विचार आने लगते हैं। आज इस खबर में जानेंगे कि अगर पूजा के दौरान या व्रत उपवास के दौरान मन में बुरे ख्याल आते हैं, तो उस समय क्या करना चाहिए, क्या नहीं। इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि आखिर मन में इस तरह के विचार आते ही क्यों हैं। सारी बातों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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मन में गंदे विचार आने के कारण
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के मन दो प्रकार के होते हैं। एक शुद्ध मन और दूसरा अशुद्ध मन। मान्यता है कि जब व्यक्ति का अशुद्ध मन होता है, तो उसके अंदर कामनाएं जागृत होने लगती हैं। शास्त्रों में कामनाओं से रहित मन को शुद्ध मन बताया गया है। ऐसे में शुद्ध मन के साथ भगवान की भक्ति करना शुभ हैं। लेकिन अशुद्ध मन के साथ की गई भगवान की पूजा शुभ फलदायी साबित नहीं होती है।
मान्यता है कि जो जातक शुद्ध मन से नवरात्रि में व्रत या मां दुर्गा की पूजा विधि-विधान से करते हैं, उसे ज्ञान के साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यता है कि अगर व्रत के दौरान या पूजा के दौरान मन में गंदे विचार आते हैं, तो उससे घबराने नहीं चाहिए बल्कि उन्हें आने देना चाहिए। साथ ही मां दुर्गा की सच्चे मन से आराधना करनी चाहिए।
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नल के गंदे पानी की तरह हैं ये अशुद्ध विचार
ज्योतिषियों का कहना है कि जब नल चलाते हैं, तो शुरुआत में सबसे पहले गंदा पानी बाहर आता है, ठीक उसी प्रकार नवरात्रि में व्रत या पूजा करते समय बुरे विचार आते हैं, तो इससे मन की गंदगी बाहर आती है। साथ ही मन शुद्ध होने लगता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार शुरुआत में नल गंदा पानी देता है और बाद में साफ पानी देता है। वैसे ही मनुष्य का विचार हैं पहले गंदें विचार आएंगे बाद में शुद्ध विचार आने लगते हैं।
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