TrendingMaha Kumbh 2025Delhi Assembly Elections 2025Ranji TrophyUP Diwas 2025Republic Day 2025IND vs ENG

---विज्ञापन---

Marriage Rituals: ब्रह्म से लेकर राक्षस विवाह तक, बेहद अजीबोगरीब हैं हिंदू धर्म में 8 प्रकार की शादियां

Marriage Rituals: सनातन धर्म में शादी को पवित्र बंधन के रूप में देखा गया है। हिंदू धर्म में की जाने वाली शादियों की बात करें तो देश में हर राज्य के अलग-अलग रीति-रिवाज हैं। मगर क्या आपको पता है कि हिंदू रीति-रिवाजों के तहत कई विवाह के कई प्रकार हैं? दरअसल धार्मिक ग्रंथों में विवाह […]

News
Marriage Rituals
Marriage Rituals: सनातन धर्म में शादी को पवित्र बंधन के रूप में देखा गया है। हिंदू धर्म में की जाने वाली शादियों की बात करें तो देश में हर राज्य के अलग-अलग रीति-रिवाज हैं। मगर क्या आपको पता है कि हिंदू रीति-रिवाजों के तहत कई विवाह के कई प्रकार हैं? दरअसल धार्मिक ग्रंथों में विवाह को 8 भागों में बांटा गया है और इनके रीति-रिवाज भी अलग हैं। आइए जानते हैं हिंदू परंपरा में 8 प्रकार की शादी का क्या महत्व है। और यह एक दूसरे से कैसे अलग है?

ब्रह्म विवाह

इस प्रकार के विवाह में कन्यादान का महत्व होता है। मान्यता है कि इस तरह के विवाह में वर-वधु की आयु 25 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। इसके अलावा इस प्रकार के विवाह में वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इस तरह के विवाह में शुभ मुहूर्त का भी खास ख्याल रखा जाता है।

प्रजापत्य विवाह

मॉडर्न जमाने में इस तरह के विवाह की अब अनुमति नहीं है। इस विवाह में पहले ऐसी परंपरा थी कि वधु की मर्जी के खिलाफ भी उसकी शादी की जा सकती थी। पहले के जमाने में जब कम उम्र में विवाह किया जाता था तो कन्या को ससुराल वालों को सुपुर्द कर दिया जाता था, ताकि वो ससुराल में बेटी बनकर रहे।

दैव विवाह

दैव विवाह को ब्रह्म विवाह का ही एक अन्य रूप माना जाता है। इस तरह के विवाह में वास्ताव में कन्या का दान किया जाता है। इसमें अधिकांश वधु पक्ष के लोग नर्धन होते हैं, या फिर कन्य की शादी की उम्र ज्यादा हो जाती है। तब ऐसे में कन्य की शादी किसी सिद्ध पुरुष से कर दिया जाता है।

गंधर्व विवाह

पहले जमाने में अपनी पसंद की शादी को गंधर्व विवाह कहा जाता था। इस तरह के विवाह में वर-वधु एक दूसरे को पहले से पसंद कर लेते थे। पौराणिक काल में शकुंतला और दुष्यंत का विवाह भी गंधर्व विवाह के तहत ही हुआ था। यह भी पढ़ें: Surya Grahan 2023: 14 अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण 6 राशियों के लिए वरदान! राजा जैसे सुख का लेंगे आनंद

आर्ष विवाह

इस प्रकार के विवाह में गोदान का विधान है। हिंदू धर्म में गोदान को बहुत बड़ा दाना माना जाता है। हालांकि वर्तमान समय में कन्या पक्ष को दिया गया कोई भी मूल्य चुकाना आर्ष विवाह ही कहा जाता है। इसके साथ ही इस विवाह में वर-वधु की सहमति जरूरी है।

असुर विवाह

असुर विवाह के तहत कन्य का सौदा किया जाता है। इस विवाह में वर पक्ष कन्या का मूल्य चुकाकर उसे खरीदकर घर ले जाते हैं। लेकिन ऐसा अधिकतर गरीब परिवारों में होता है। जहां कन्या का विवाह अयोग्य वर भी कर दिया जाता है, महज पैसे की आड़ में।

पिशाच विवाह

इस प्रकार के विवाह को अशुभ माना जाता है। पिशाच विवाह में कन्या की मानसिक स्थिति या तो सही नहीं होती या उसे होश नहीं होता। ऐसे में कन्या का विवाह दवाब डालकर किया जाता है।

राक्षस विवाह

जब कन्या भागकर अपने प्रेमी से किसी मंदिर या कोर्ट में विवाह कर लेती हैं तो उसे ही राक्षस विवाह की श्रेणी में रखा जाता है। इस तरह के विवाह में आमतौर पर कन्य के परिवार वाले राजी नहीं होते हैं। किसी को भगाकर शादी करना भी राक्षस विवाह की श्रेणी में ही आता है। यह भी पढ़ें: 31 दिसंबर तक 3 राशियों पर जमकर कृपा बरसाएंगे गुरु ग्रह, चारों तरफ से आएगा अकूत पैसा!
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.