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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर बना पंचमहायोग, ऐसे करें पूजा तो मिलेगा मनचाहा वरदान

Mahashivratri 2023: कल शनिवार को महाशिवरात्रि का पर्व है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित रामदास के अनुसार पिछले कई सौ सालों में पहली बार पंचमहायोग बनने जा रहा है। ऐसे में आप इस दिन शिव को प्रसन्न करने के लिए किए गए उपाय तुरंत असर दिखाएंगे। […]

Mahashivratri 2023: कल शनिवार को महाशिवरात्रि का पर्व है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित रामदास के अनुसार पिछले कई सौ सालों में पहली बार पंचमहायोग बनने जा रहा है। ऐसे में आप इस दिन शिव को प्रसन्न करने के लिए किए गए उपाय तुरंत असर दिखाएंगे। ज्योतिषियों के अनुसार इस शिवरात्रि पर केदार, शंख, शश, वरिष्ठ और सर्वार्थसिद्धि योग है। जब ये सभी एक साथ होते हैं तो इसे पंचमहायोग कहा जाता है। सबसे बड़ी बात इस दिन शनि प्रदोष भी है, जो अपने आप में बहुत ही पवित्र दिन माना गया है। यह भी पढ़ें: पूरे साल में सिर्फ एक बार करें ये उपाय, साक्षात लक्ष्मी घर चलकर आएगी

क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023)

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक मास में शिवरात्रि आती है परन्तु फाल्गुन मास की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। मान्यताओं में कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव का प्राकट्य हुआ था। यही कारण है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भांति-भांति के उपाय किए जाते हैं।

ऐसे करें शिव की पूजा (Shiv ki Puja Kaise Kare)

यदि आप भी महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करना चाहते हैं तो सुबह जल्दी उठ कर मंदिर में जाएं। वहां पर दूध अथवा जल से शिवलिंग का अभिषेक करें। उन्हें बिल्व पत्र, चंदन तिलक, सफेद पुष्प, आकड़े के फूल आदि चढ़ाएं। अपनी श्रद्धानुसार उनकी स्तुति अथवा स्त्रोत का पाठ करें। उन्हें प्रसाद के लिए फल अर्पित करें। दिन भर व्रत रखें और फलाहार करके व्रत खोलें। पूजा के अंत में उनकी आरती करें। आरती निम्न प्रकार है यह भी पढ़ें: भूल कर भी किसी से उधार न लें ये 4 चीजें, वरना बर्बाद हो जाएंगे जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥ दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥ अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥ कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥ त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥ डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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