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lunar eclipse 2023: ग्रहण के दौरान खुले रहते हैं भारत के 3 मंदिरों के कपाट, रहस्य जानकर हो जाएंगे हैरान

lunar eclipse 2023: आपने सुना होगा कि ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के पूजा-पाठ या मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। लेकिन भारत में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जो ग्रहण के दौरान खुले रहते हैं। तो आइए उन मंदिरों के बारे में जानते हैं।

lunar eclipse 2023
lunar eclipse 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, 28 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगने वाला है। इस दिन शरद पूर्णिमा भी पड़ रहा है। ज्योतिषियों का कहना है कि चंद्र ग्रहण को भारत के कुछ ही इलाकों में देखा जा सकता है। मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के समय किसी भी तरह के पूजा-पाठ करना मनाही होता है। इसलिए ग्रहण के समय सारे मंदिरों के कपाट भी बंद हो जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में ऐसे तीन मंदिर हैं, जहां पर ग्रहण के दौरान भी पूजा-पाठ बंद नहीं होता है। तो आइए आज इस खबर में जानते हैं आखिर वे 3 मंदिर कौन से हैं, साथ ही मंदिर खुलने के पीछे का कारण क्या है। आइए विस्तार से जानते हैं।

विष्णुपद मंदिर

बिहार के गया जिला में स्थित विष्णुपद मंदिर में ग्रहण के दौरान पूजा बंद नहीं किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट खुले रहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान मंदिर की मान्यता और भी अधिक बढ़ जाती है। क्योंकि इस मंदिर में ग्रहण के दौरान पिंडदान किए जाते हैं, जो बेहद ही शुभ होता है।
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महाकाल मंदिर

महाकाल मंदिर जो अपनी भव्यता के लिए मशहूर हैं। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान महाकाल मंदिर कभी बंद नहीं होता है। इस मंदिर में ग्रहण काल में भी भक्त महाकाल के दर्शन करते हैं। लेकिन पूजा-पाठ और आरती के समय में थोड़ी बहुत अंतर हो जाता है। लक्ष्मीनाथ मंदिर सूतक काल में भी खुला रहने वाला मंदिर लक्ष्मीनाथ मंदिर हैं। इस मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा है कि एक बार सूतक लगने के बाद पुजारी जी ने मंदिर के कपाट बंद कर दिए थे। कहा जाता है कि उस दिन भगवान की पूजा नहीं हुई थी और ना ही किसी भी प्रकार के भोग अर्पित किए गया था। तभी उसी रात मंदिर के सामने वाली हलवाई की दुकान पर एक छोटा सा बालक गया और दुकानदार से कहा कि मुझे बहुत जोर से भूख लगी है।
बालक ने हलवाई को एक पाजेब दिया और प्रसाद मांगा। हलवाई ने ही पाजेब लेकर प्रसाद उस लड़के को दे दिया। तभी अगले दिन उस मंदिर से पदचिह्न गायब थी। तब उस हलवाई ने पुजारी जी को सारी बात बताई। तब से लेकर अब तक किसी भी ग्रहण पर मंदिर के कपाट नहीं बंद होते हैं और ना ही पूजा-पाठ बंद किया जाते हैं।
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डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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