जानिए कौन थे “सप्तऋषि”, देश के इतिहास में क्या था उनका योगदान?
Saptarishi: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज बजट पेश करते हुए “सप्तऋषि” नाम से भी एक योजना का अनावरण किया। इस योजना के जरिए देश के विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। परन्तु क्या आप जानते हैं सप्तऋषि शब्द भारतीय वैदिक परंपरा से लिया गया है।
आचार्य अनुपम जौली के अनुसार प्राचीन धार्मिक साहित्य में बहुत बार सप्तऋषि शब्द का उल्लेख आता है। वास्तव में यह सात ऋषियों का एक समूह था। इन ऋषियों पर ब्रह्माण्ड में संतुलन बनाए रखने और मानव जाति को सही राह दिखाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आज भी ये अपने कार्य में लगे हुए हैं। रात को आकाश में दिखने वाले एक तारामंडल को भी सप्तऋषि तारामंडल की संज्ञा दी गई हैं।
यह भी पढ़ें: ऐसे हाथ देखते ही पता लग जाएगा, किसके कितने अफेयर हैं, कितनी शादियां होंगी!
क्या है “सप्तऋषियों” का इतिहास (Saptarishi History and their names)
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वर्तमान में सृष्टि का सप्तम मन्वंतर चल रहा है। इसका नाम वैवस्वत दिया गया है। प्रत्येक मन्वंतर में अलग-अलग सप्तऋषि होते हैं। वेदों में वर्तमान वैवस्वत मन्वंतर में सप्तऋषियों (Saptarishi) के नाम क्रमश: वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव एवं शौनक बताए गए हैं। इनका विवरण निम्न प्रकार हैं।
यह भी पढ़ें: Rashifal February: सभी राशियों के लिए खुशखबरी लेकर आएगा फरवरी, जानिए किसे क्या मिलेगा
- वशिष्ठ: ये भगवान राम के कुलगुरु थे। इन्होंने ही सर्वप्रथम राजसत्ता पर अंकुश रखने तथा समाज को धर्म से चलने की राह दिखाई थी।
- विश्वामित्र: ये पहले एक चक्रवर्ती राजा थे परन्तु ब्रह्मर्षि वशिष्ठ से कामधेनु गाय लेने के लिए इन्होंने महाभयंकर युद्ध किया था। अपने तप से ये इतने शक्तिशाली हो गए कि इन्होंने दूसरे स्वर्ग की रचना कर दी थी। इन्हें ही गायत्री मंत्र का दृष्टा माना जाता है।
- कण्व: इनका समयकाल महाभारतकालीन माना जाता है। इन्होंने यज्ञों को व्यवस्थित रूप दिया और यज्ञ की विधा से आम जनता का परिचय कराया।
- भारद्वाज: ये देवगुरु बृहस्पति के पुत्र हैं। इन्होंने वेदों के लिए 765 से अधिक मंत्रों की रचना की है। उनकी एक पुत्री रात्रि भी थी जिसके रात्रि सूक्त की रचना की।
- अत्रि: ऋषि अत्रि ने देश में कृषि और सभ्यता के विकास में अपना योगदान दिया था। वे सृष्टि रचियता ब्रह्मा के मानसपुत्र थे।
- वामदेव: ऋषि वामदेव ने वैदिक परंपरा में संगीतशास्त्र की रचना की। उन्हें ऋग्वेद के चतुर्थ मंडल के सूत्रदृष्टा तथा जन्मत्रयी का तत्ववेत्ता माना जाता है।
- शौनक: वह प्राचीन ऋषियों में सर्वाधिक प्रशंसनीय थे। उन्होंने भारत में दस हजार विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिए गुरुकुल की स्थापना की थी।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world
on News24. Follow News24 and Download our - News24
Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google
News.