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Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ व्रत के दौरान जरूर पढ़ें साहूकार से 7 लड़के वाली पौराणिक कथा, मिलेगा संपूर्ण फल

Karwa Chauth Puja Vrat Katha Hindi: करवा चौथ का व्रत कल यानी 1 नवंबर को रखा जाएगा। इस दिन करवा माता की पूजा के बाद व्रत कथा सुनी या सुनाई जाती है। आइए जानते हैं करवा चौथ व्रत की कथा।

Edited By : Dipesh Thakur | Nov 1, 2023 11:05
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Karwa Chauth Puja Vrat Katha

Karwa Chauth Puja Vrat Katha Hindi: इस साल करवा चौथ का पावन पर्व 01 नवंबर, बुधवार को यानी कल है। सनातन धर्म में करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। करवा चौथ के दिन जितना महत्व व्रत और पूजा करने का होता है, उतना ही महत्व करवा चौथ की कथा का भी है। ऐसे में करवा चौथ के दिन इस कथा को बड़े ही एकाग्र होकर सुनना या करना चाहिए। कभी-कभी हम देखते है कि कई महिलाएं का व्रत कथा के दौरान एकाग्रता भंग हो जाती है, वे बातचीत कथा के बीच में ही बातचीत शुरू कर देती हैं जो शास्त्रों के अनुसार गलत है।

इसलिए सभी महिलाओं को करवा चौथ व्रत की कथा को एकाग्र होकर सुननी चाहिए। ताकि व्रत और पूजन का शुभ फल प्राप्त हो सके। करवा चौथ का यह व्रत उनके पति से जुड़ा हुआ होता है। ऐसे में इस दिन व्रती सुहागिन महिलाओं को लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। आप चाहें तो इस दिन अपनी शादी का लहंगा या फिर और कोई लाल रंग का लहंगा या फिर साड़ी पहन सकती है। लाल रंग पहनने का कारण है कि इसे सुहाग की निशानी मानी जाती है। साथ ही यह प्रेम का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ की दो प्रचलित कथाएं हैं।

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करवा चौथ व्रत की पहली पौराणिक व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha) 

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी समेत उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने जवाब दिया- ‘भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्‍य देकर भोजन करूंगी।’

बहन की बात सुनकर भाइयों ने एक काम किया कि नगर से बाहर जा कर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए उन्‍होंने बहन से कहा- ‘बहन! चांद निकल आया है। अर्घ्‍य देकर भोजन कर लो।’ यह सुनकर उसने अपने भाभियों से कहा, ‘आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्‍य दे लो।’ परन्तु वे इस कांड को जानती थीं, उन्होंने कहा- ‘बाई जी! अभी चांद नहीं निकला है, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं।’

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भाभियों की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान न दिया और भाइयों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को ही अर्घ्‍य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रसन्न हो गए। इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया। जब उसने अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसने पश्चाताप किया गणेश जी की प्रार्थना करते हुए विधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया।

श्रद्धानुसार सबका आदर करते हुए सबसे आशीर्वाद ग्रहण करने में ही मन को लगा दिया। इस प्रकार उसकी श्रद्धा भक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवन दान दे कर उसे आरोग्य करने के पश्चात धन-संपत्ति से युक्त कर दिया। इस प्रकार जो कोई छल-कपट को त्याग कर श्रद्धा-भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेंगे उन्‍हें सभी प्रकार का सुख मिलेगा।

करवा चौथ व्रत की दूसरी पौराणिक व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)

पुराणों के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा..! करवा..! कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा। पति की पुकार सुनकर धोबिन करवा वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था।

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तब करवा ने मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पहुंची। उसने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई और साथ ही यह भी कहा की मगरमच्छ को उसके इस कार्य के लिए कठिन से कठिन दंड देने का आग्रह किया और बोली- हे भगवन्! मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के दंड-स्वरूप नरक भेज दें। करवा की पुकार सुन यमराज ने कहा- अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता।

इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं कि तो मैं आपको शाप दूंगी और नष्ट कर दूंगी। करवा का साहस देख यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया। तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत का प्रचलन में आया। जिसे इस आधुनिक युग में भी महिलाएं अपने पूरी भक्ति भाव के साथ करती है और भगवान से अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: Nov 01, 2023 11:05 AM

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