Gemstone Astrological Rules: कुंडली में ग्रहों की चाल हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है. ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए रत्न पहनना लाभकारी माना जाता है. रत्न पहनने से न केवल ग्रहों का सकारात्मक प्रभाव मिलता है, बल्कि यह मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ाने में भी मदद करता है. लेकिन अक्सर लोग ये सवाल करते हैं कि रत्न वाली अंगूठी को बार-बार निकालना सही है या नहीं. आइए जानते हैं, रत्न धारण करने के ज्योतिषीय नियम.
रत्न को बार-बार ना उतारने की ज्योतिषीय वजह
रत्नशास्त्र के अनुसार, किसी भी रत्न वाली अंगूठ, चाहे वह पुखराज, मोती, नीलम, माणिक्य या हीरा हो, को बार-बार उतारना उचित नहीं माना जाता है. जब हम ग्रहों को ध्यान में रखकर रत्न पहनते हैं, तो इसका असर धीरे-धीरे हमारे शरीर और ऊर्जा पर पड़ता है. यदि इसे बार-बार हटाया जाए, तो यह ऊर्जा प्रवाह टूट सकता है और रत्न का सकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है.
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वैज्ञानिक कारण भी हैं पीछे
- ज्योतिषीय कारणों के अलावा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी रत्न को बार-बार निकालना नुकसानदेह हो सकता है.
- बार-बार निकालने से अंगूठी गिर सकती है और टूटने का खतरा रहता है.
- रत्न और त्वचा के बीच का संपर्क रगड़ से प्रभावित होता है, जिससे रत्न का प्रभाव कमजोर पड़ सकता है.
- रत्न शरीर की ऊर्जा के साथ काम करता है, इसलिए इसे लगातार पहनना ही सही रहता है.
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रत्न पहनने के फायदे
ज्योतिष शास्त्र और रत्न विज्ञान के अनुसार, नियमित रूप से रत्न पहनने से कई लाभ माने जाते हैं:
- ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
- मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन
ऐसे करें रत्न की देखभाल
- बार-बार न उतारने का मतलब ये नहीं कि आप रत्न की सफाई छोड़ दें.
- हल्के साबुन और पानी से रत्न को साफ किया जा सकता है.
- सूर्य या चांदी के हल्के प्रकाश में इसे चार्ज करना लाभकारी माना जाता है.
- कभी भी रत्न को किसी असुरक्षित जगह पर न रखें.
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.