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Garuda Purana:  क्या मृत्यु के बाद आत्मा को 3 मार्गों से गुजरना पड़ता है, गरुड़ पुराण में बताई गई है ये बातें

Garuda Purana: गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा को तीन मार्गों से होकर गुजरना पड़ता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

Garuda Purana:  सभी पुराणों में गरुड़ पुराण को सबसे अहम और महत्वपूर्ण पुराण माना गया है। बता दें कि गरुड़ पुराण में जन्म से लेकर मृत्यु तक की सारी बाते विस्तार से बताई गयी है। गरुड़ पुराण में मृत्यु के जब बाद आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसके कर्मों के बारे में भी बताया गया है। गरुड़ पुराण में जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की गति और मार्ग के बारे में भी बताया गया है। मान्यता है कि जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसमें तीन तरह की गतियां होती हैं। जो आत्मा को धर्म-अधर्म और सद्गति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। आज इस खबर में आत्मा की तीन गतियों के बारे में जानने वाले हैं। यह भी पढ़ें- सोने के भी होते हैं वास्तु नियम, रखें इन बातों का खास ध्यान

आत्मा की तीन गतियां

उर्ध्व गति

गरुड़ पुराण के अनुसार, उर्ध्व गति में आत्मा ऊपर के लोगों की यात्रा करती है। यानी इस गति सिर्फ धर्म के मार्ग पर चलने वाली आत्मा को ही प्राप्त होती है।

स्थिर गति

स्थिर गति के अनुसार, आत्मा किसी भी लोक में यात्रा नहीं करती है बल्कि मृत्यु के बाद तुरंत ही मनुष्य योनि में जन्म ले लेती है। यह भी पढ़ें-  पूजा-पाठ के लिए कौन सा बर्तन शुभ और अशुभ, शास्त्र में क्यों है वर्जित

अधोगति

गरुड़ पुराण के अनुसार, अधोगति को दुर्गति के नाम से भी जाना जाता है। इसमें आत्मा को नीचे लोक में यात्रा कराई जाती है। मान्यता है कि अधोगति उन पापी और अधर्मी लोगों की आत्माएं होती हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, इन्हीं तीनों गतियों के बाद किसी भी आत्मा का लक्ष्य तय होती है।

आत्मा के लिए तीन मार्ग

अर्चि मार्ग

यह आत्मा के लिए सबसे सर्वोच्च मार्ग है। मान्यता है कि यह देव लोक और ब्रह्मलोक के लिए होता है। बता दें इस मार्ग पर सदैव धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति ही जाता है। यानी जो केवल पुण्य कर्म किए हों। यह भी पढ़ें- साल 2024 का अंतिम महीना 4 राशियों के लिए बेहद शुभ, हर क्षेत्र में कमाएंगे खूब नाम

धूम मार्ग

धूम मार्ग पर चलने वाली आत्माओं को पितृलोक की यात्रा कराई जाती है। बता दें इस यात्रा में पितृ देव से मुलाकात हो जाती है।

उत्पत्ति विनाश मार्ग

गरुड़ पुराण के अनुसार, उत्पत्ति विनाश मार्ग नर्क की यात्रा होती है। इस यात्रा में आत्मा को वैतरणी नदी को पार करना पड़ता है। कहा जाता है कि वैतरणी नदी पार करने में आत्मा को 47 दिनों का समय लगता है। इस दौरान आत्मा को कई तरह के कष्ट उठाने पड़ते हैं। यह भी पढ़ें- महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या है खास अंतर, जानें धार्मिक कारण

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक ग्रंथों के मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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