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कर्जा चुकाने और पैसा कमाने के लिए करें ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ, कुछ ही दिनों में दिखेगा चमत्कार

Ganesh Ji Ke Upay: कई बार अलग-अलग कारणों से व्यक्ति आर्थिक तंगी और कर्जे के जाल में बुरी तरह फंस जाता है। हालात इतने बुरे हो जाते हैं कि वह खुद का रोजमर्रा का खर्चा भी नहीं निकाल पाता और आत्महत्या के बारे में सोचने लगता है। ऐसे समय पर यदि भगवान गणपति की आराधना […]

Ganesh Ji Ke Upay: कई बार अलग-अलग कारणों से व्यक्ति आर्थिक तंगी और कर्जे के जाल में बुरी तरह फंस जाता है। हालात इतने बुरे हो जाते हैं कि वह खुद का रोजमर्रा का खर्चा भी नहीं निकाल पाता और आत्महत्या के बारे में सोचने लगता है। ऐसे समय पर यदि भगवान गणपति की आराधना की जाए तो समस्या हल हो सकती है। आर्थिक तंगी से मुक्ति के लिए शास्त्रों में "ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र" का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र के पाठ से भक्तों की समस्त कठिनाईयां दूर हो जाती हैं। साथ ही घर में धन भी आने लगता है और बिगड़ा भाग्य भी संवरने लगता है। स्तोत्र इस प्रकार है यह भी पढ़ें: Ganesh ji Ke Upay: सिर्फ एक बार कर लें ये उपाय, बुरी से बुरी किस्मत भी संवर जाएगी

क्या है ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र

ध्यान ओम सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्। ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्।। मूल-पाठ सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।। त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।। हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।। महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।। तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित:। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।। भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।। शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक:। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।। पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित:। सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।। इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं, एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित:। दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत्।। यह भी पढ़ें: Dharma Karma: रामचरितमानस की यह चौपाई बदल देगी आपका भाग्य, ऐसे करें प्रयोग

कैसे करें "ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र" का प्रयोग

इस स्तोत्र का प्रयोग करना अत्यन्त ही आसान है। सर्वप्रथम किसी शुभ मुहूर्त में इसका 1100 पाठ का अनुष्ठान कर लेना चाहिए। यदि एक ही दिन में 1100 जप कर सकें तो सर्वोत्तम है। ऐसा नहीं कर पाने पर इस अनुष्ठान को 11 दिनों में भी पूर्ण किया जा सकता है। इस प्रकार एक अनुष्ठान पूर्ण होने के बाद इस पाठ का प्रतिदिन 108 बार जप करें। पाठ के बाद गणेश जी से ऋणमुक्ति और धन प्राप्ति की इच्छा पूर्ण करने की प्रार्थना करें। इस उपाय से शीघ्र ही व्यक्ति को धन प्राप्ति के रास्ते मिलने लगते हैं और वह समस्त दुविधाओं और कष्टों से मुक्त हो जाता है। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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