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Ganesh Chaturthi 2023: पूजा के बाद करें भगवान गणेश की ये प्रसिद्ध आरती, जीवन में होगी उन्नति

Ganesh Chaturthi 2023 Aarti: गणपति बप्पा मोरया! आज गणपति बप्पा का जन्मोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ही गणेश भगवान का जन्म हुआ था। सनातन धर्म में श्री गणेश को प्रथम पूज्य देव माना गया हैं और इनकी पूजा भी जाती है। आज यानी […]

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Ganesh Chaturthi 2023 Aarti: गणपति बप्पा मोरया! आज गणपति बप्पा का जन्मोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ही गणेश भगवान का जन्म हुआ था। सनातन धर्म में श्री गणेश को प्रथम पूज्य देव माना गया हैं और इनकी पूजा भी जाती है। आज यानी गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा को प्रसन्न करने के लिए इस प्रभावशाली मंत्र का जाप और आरती कर सकते हैं। तो आइए इस खबर में जानते हैं भगवान गणेश की प्रसिद्ध आरती और श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र के बारे में।

भगवान गणेश की स्थापना के दौरान करें ये आरती

सुखकर्ता दुःखहर्ता आरती सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची। नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची। सर्वांगी सुन्दर उटि शेंदुराची। कण्ठी झळके माळ मुक्ताफळांची।। जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति। दर्शनमात्रे मनकामना पुरती।। रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा। चन्दनाची उटि कुंकुमकेशरा। हिरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा। रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया।। जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति। दर्शनमात्रे मनकामना पुरती।। लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बन्धना। सरळ सोण्ड वक्रतुण्ड त्रिनयना। दास रामाचा वाट पाहे सदना। संकटी पावावे निर्वाणीरक्षावे सुरवरवन्दना।। जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति। दर्शनमात्रे मनकामना पुरती।। यह भी पढ़ें- गणेश चतुर्थी पर जरूर कर लें ये 5 काम, भगवान गणपति हमेशा रखेंगे खुशहाल

गणेश चतुर्थी पर करें श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र का जाप

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् । भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ।। प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् । तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ।। लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ।। नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ।। द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः । न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ।। विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् । पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ।। जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते । संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ।। अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते । तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ।। यह भी पढ़ें- राशि के अनुसार गणेश जी को लगाएं ये भोग, गणपति हर मनोकामना करेंगे पूरी डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।  News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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