Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी का पावन पर्व नजदीक है। ऐले में तमाम लोग इसकी तैयारी में जुटे हैं। गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। मान्यता के मुताबिक इसी दिन विघ्नहर्ता गणेशजी का जन्म हुआ था। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को पड़ता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। यह त्योहार महाराष्ट्र और गुजरात में धूम-धाम से मनाया जाता है।
अभीपढ़ें– कब शुरू होंगे श्राद्ध पक्ष, जानिए महत्व और पितृपक्ष की तिथियां
गणेश चतुर्थी के दिन घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके बाद पूरे दस दिन उसकी पूजा की जाती है और आखिरी दिन इस मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदा किया जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त से शुरू होकर 9 सितंबर तक मनाया जाएगा, जिसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को 10वें दिन विसर्जित किया जाएगा है। शास्त्रों के अनुसार, श्रीगणेश की प्रतिमा की 1, 2, 3, 5, 7, 10 आदि दिनों तक पूजा करने के बाद उसका विसर्जन करते हैं।
गणेश चतुर्थी बन रहा है विशेष संयोग
गणेश चतुर्थी के मौके पर इस साल पर विशेष संयोग बन रहा है। यह योग काफी शुभ माना जा रहा है। भगवान गणेश बुधवार के देवता हैं, ऐसे में गणेश चतुर्थी बुधवार के दिन पड़ रही है। इसके साथ ही इस साल गणेश चतुर्थी के मौके पर रवि योग है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक रवि योग सभी अशुभ योग के प्रभाव को नष्ट करने की क्षमता रखता है। इस दिन भगवान श्री गणेश की विधि विधान से पूजा व्रत रखने से हर मनोकामना पूरी होगी और हर कष्ट दूर होंगे।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
31 अगस्त को सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट के बीच भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त है। इस दिन रवि योग सुबह 05 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इस दौरान शुभ कामों को करना अति उत्तम माना जाता है।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि
प्रात:काल स्नान कर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
इस दिन गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना की जाती है।
भगवान गणेश का गंगा जल से अभिषेक कर पुष्प अर्पित करें।
विघ्नहर्ता को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मुताबिक भगवान गणेश को दूर्वा घास पसंद है और इसे चढ़ाने से वो प्रसन्न होते हैं।
सुबह जल्दी उठकर गणेश चतुर्थी के दिन सोने, चांदी, तांबे और मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर षोडशोपचार विधि से उनका पूजन करें। उन्हें 21 लड्डुओं या मोदक का भोग लगाएं। पूजा के दौरान लाल रंग की चौकी, जल भरा कलश, लाल रंग का कपड़ा, पंचामृत, रोली, मोली, लाल चंदन, शुद्ध जनेऊ के साथ गंगाजल, सिंदूर चांदी का वर्क और लाल फूल का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही धानी सुपारी लौंग, इलायची नारियल फल दूर्वा, दूब पंचमेवा घी का दीपक धूप, अगरबत्ती और कपूर लें, लेकिन भगवान को भोग लगाते समय उनका पसंदीदा मोदक जरुर लें।
अभीपढ़ें– आजकाराशिफलयहाँपढ़ेंClick Here -News 24 APP अभीdownload करें