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इसलिए हवन में आहुति देते समय कहा जाता है स्वाहा! पुराणों में दी गई है कथा

Dharma Karma: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले पूजा-पाठ और यज्ञ (अथवा हवन) करने की परंपरा है। विभिन्न कर्मकांडों के द्वारा देवी-देवताओं की आराधना की जाती है और यज्ञ के माध्यम से उन्हें आहुति प्रदान की जाती है। इस प्रकार देवताओं को प्रसन्न कर उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त किया जाता है। हवन […]

Image credits: commons.wikimedia.org
Dharma Karma: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले पूजा-पाठ और यज्ञ (अथवा हवन) करने की परंपरा है। विभिन्न कर्मकांडों के द्वारा देवी-देवताओं की आराधना की जाती है और यज्ञ के माध्यम से उन्हें आहुति प्रदान की जाती है। इस प्रकार देवताओं को प्रसन्न कर उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त किया जाता है। हवन करते समय आपने एक बात पर ध्यान दिया होगा कि यज्ञकुंड में आहुति डालने से पूर्व स्वाहा शब्द बोला जाता है। इसके पीछे शास्त्रों में कई कारण बताए गए हैं। पुराणों के अनुसार स्वाहा को दक्ष प्रजापति की पुत्री बताया गया है। उनका विवाह अग्नि देव से हुआ था। स्वाहा के माध्यम से ही अग्निदेव आहुति ग्रहण कर देवताओं को पहुंचाते हैं। यह भी पढ़ें: अगर आपके भी घर में है बांस का पौधा तो ध्यान रखें ये नियम वरना अनर्थ हो जाएगा

पुराणों में दी गई है देवी स्वाहा की कथा (Swaha story and Dharma Karma Rituals)

एक अति प्राचीन कथा के अनुसार प्राचीन काल में मनुष्य देवताओं को जो भी हवन सामग्री प्रदान करते थे, वह स्थूल रूप में होने के कारण उन तक नहीं पहुंच पाती थी। ऐसे समय में ब्रह्माजी ने मां भगवती की प्रार्थना की, जिस पर देवा स्वाहा का प्रादुर्भाव हुआ। वह प्रत्येक वस्तु को सूक्ष्म रूप में बदलने की सामर्थ्य रखती थी। उनके इसी गुण को ध्यान में रखते हुए ब्रह्माजी ने स्वाहा से अग्निदेव की दाहिकाशक्ति बनने का आग्रह किया। देवी ने उनका अनुरोध स्वीकार कर अग्निदेव के साथ स्वयं का विवाह किए जाने को अपनी अनुमति दे दी। स्वाहा के द्वारा ब्रह्माजी के अनुरोध को स्वीकार किए जाने पर ब्रह्माजी ने उन्हें वर दिया कि कोई भी व्यक्ति यदि मंत्र के अंत में स्वाहा बोलकर आहुति देगा, तो वह आहुति तुरंत ही देवताओं को प्राप्त होगी। इस प्रकार प्राचीन काल से ही हवन करते समय मंत्रों के अंत में स्वाहा बोलने की परंपरा आरंभ हुई। यह भी पढ़ें: फटाफट करोड़पति बनने के लिए पूर्णिमा पर करें ये काम, किस्मत खुद रास्ता बनाएगी

स्वाहा के माध्यम से आहुति ग्रहण करते हैं देवता

ब्रह्माजी द्वारा दिए गए वरदान के अनुसार जब भी मंत्रों के अंत में स्वाहा बोलते हुए आहुति दी जाती है तो वह सीधे देवताओं को प्राप्त होती है। यदि किसी मंत्र के अंत में स्वाहा न बोला जाए तो वह आहुति देवताओं तक नहीं पहुंचती वरन राक्षसों को प्राप्त होती है। हालांकि हवन करते समय कई अन्य नियमों का भी विशेष ध्यान रखना होता है। यदि ऐसा नहीं किया जाए तो भी मंत्रों द्वारी दी जाने वाली आहुति निष्फल हो जाती है। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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