गणेश जी का यह मंत्र चुटकी बजाते दूर करेगा कर्जा, तिजोरी भी भर जाएगी
Sri Rinmochan Mahaganpati Stotra: कई बार भाग्यवश या अनेकों अन्य कारणों से व्यक्ति पर इतना अधिक कर्जा हो जाता है कि वह चुका नहीं पाता। उसके घर-दुकान सब नीलाम होने की स्थिति में आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में यदि शास्त्रों में बताए गए उपायों का आश्रय लिया जाए तो व्यक्ति बड़ी सरलता से ऋणमुक्त हो सकता है। वैदिक ग्रंथों में ऋण मुक्ति के बहुत से उपाय दिए गए हैं। श्रीऋणमोचनमहागणपतिस्तोत्रम भी इन्हीं में से एक उपाय है जो तुरंत ही असर दिखाता है। जानिए इसका प्रयोग किस प्रकार करना चाहिए।
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क्या है श्रीऋणमोचनमहागणपतिस्तोत्रम (Sri Rinmochan Mahaganpati Stotra)
यह भगवान गणेश को समर्पित एक स्तोत्र है जिसे आर्थिक समस्याओं के निराकरण के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें गणपति के अलग-अलग नामों के द्वारा उनकी स्तुति की जाती है। इसका प्रयोग भी बहुत ही आसान है। किसी शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में 1100 बार जप करने का संकल्प लेकर इसका पाठ आरंभ करें।
सर्वप्रथम गणपति की पूजा करें, उन्हें अक्षत, धूप, देसी घी का दीपक, मौली, पान, सिंदूर, पुष्प, माला आदि अर्पित करें। प्रसाद के रूप में लड्डू का भोग रखें। गणेशजी की पूजा कर इस स्तोत्र का 1100 बार जप करें। इसके बाद लड्डू बच्चों को खिला दें।
यह स्तोत्र 1100 बार पाठ करने से सिद्ध हो जाता है। अब जब भी आपको आर्थिक समस्या घेर लें, तब संकल्प लेकर इस स्तोत्र का प्रतिदिन 11 बार पाठ आरंभकरें और ऐसा लगातार अगले छह माह तक नियमित रूप से करें। इस तरह करने से करोड़ों रुपए का कर्ज भी यूं उतर जाता है जैसे कभी कर्जा लिया ही नहीं था। साथ ही आपकी आमदनी भी बढ़ जाएगी। श्रीऋणमोचनमहागणपतिस्तोत्रम निम्न प्रकार है
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श्रीऋणमोचनमहागणपतिस्तोत्रम (Sri Rinmochan Mahaganpati Stotra)
स्मरामि देव देवेशं वक्रतुण्डं महाबलम् । षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये ॥ १ ॥
एका कदन्तम् एक ब्रह्म सनातनम् । एकमेवाद्वितीयं च नमामि ऋणमुक्तये ॥ २ ॥
महागणपति देवं महासत्वं महाबतम् । महाविघ्नहरं शम्भोः नमामि ऋणमुक्तये ॥ ३ ॥
कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णं कृष्णगन्धानुलेपनम् । कृष्णसर्वोपवीतं नमामि ऋणमुक्तये ॥ ४ ॥
रक्ताम्बरं रक्तवर्ण रक्तगन्धानुलेपनम् । रक्तपुष्पप्रियं देवं नमामि ऋणमुक्तये ॥ ५ ॥
पीताम्बरं पीतवर्ण पीतगन्धानुलेपनम् । पीतपुष्पप्रियं देवं नमामि ऋणमुक्तये ॥ ६ ॥
धूम्राम्बरं धूम्रवर्णं धूम्रगन्धानुलेपनम् । होम धूमप्रियं देवं नमामि ऋणमुक्तये ॥ ७ ॥
फालनेत्र फालचन्द्रं पाशाङ्कुशधरं विभुम् । चामलङ्कृते देवं नमामि ऋणमुक्तये ॥ ८ ॥
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
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