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जारी हुई WMO की रिपोर्ट, दावा बीते आठ साल इतिहास के सबसे गर्म साल

इजिप्ट: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation) की रविवार को एक रिपोर्ट जारी हुई है। इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आएं हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार WMO की इस रिपोर्ट में दावा किया है कि बीते आठ साल इतिहास के सबसे गर्म साल रहे। https://twitter.com/ani_digital/status/1589269700835708934?s=20&t=aJVKH014jsQnZsOk3Gb2ig इजिप्ट यूएनएफसीसीसी के सदस्यों […]

क्लाइमेट चेंज का प्रतीकात्मक फोटो
इजिप्ट: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation) की रविवार को एक रिपोर्ट जारी हुई है। इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आएं हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार WMO की इस रिपोर्ट में दावा किया है कि बीते आठ साल इतिहास के सबसे गर्म साल रहे। इजिप्ट यूएनएफसीसीसी के सदस्यों के 27वें सम्मेलन में 'डब्ल्यूएमओ प्रोविजनल स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022' शीर्षक से यह रिपोर्ट जारी हुई। रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल क्लाइमेट के कारण अत्यधिक गर्मी, सूखे और विनाशकारी बाढ़ से इस आठ सालों में अरबों लोगों को प्रभावित किया है। आगे रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 1993 के बाद से समुद्र के स्तर में वृद्धि की दर दोगुनी हो गई है। जनवरी 2020 से यह लगभग 10 मिमी बढ़कर इस साल एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। लगभग 30 साल पहले उपग्रह मापन शुरू होने के बाद समुद्र के स्तर में कुल वृद्धि का 10 प्रतिशत अकेले पिछले ढाई साल में हुआ है। गौरतलब है कि 2022 की प्रोविजनल रिपोर्ट में इस्तेमाल किए गए आंकड़े इस साल सितंबर के आखिरी तक के हैं। इस रिपोर्ट का अंतिम संस्करण अगले अप्रैल में जारी किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में अब तक का वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है। यदि मौजूदा स्थितियां इस साल के अंत तक जारी रहती है, तो 1850 के बाद 2022 को रिकॉर्ड पर पांचवें या छठे सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया जाएगा। डब्लूएमओ ने कहा कि लगातार दूसरे वर्ष वैश्विक तापमान को कम रखने के बावजूद 2022 अभी भी रिकॉर्ड पर पांचवां या छठा सबसे गर्म वर्ष होने की संभावना है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) छठी आकलन रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2013-2022 की अवधि के लिए 10 साल का औसत पूर्व-औद्योगिक आधार रेखा से 1.14 डिग्री सेल्सियस अधिक होने का अनुमान है। वहीं, इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान में प्री-मानसून की अवधि असाधारण रूप से गर्म थी। डब्ल्यूएमओ के महासचिव प्रोफेसर पेटेरी तालास ने इस स्थिति पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी जितनी ज्यादा गर्म होगी इसका प्रभाव उतना ही ज्यादा बुरा होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास अब वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का इतना उच्च स्तर है कि पेरिस समझौते में तय किया गया कार्बन उत्सर्जन का 1.5 डिग्री सेल्सियस मुश्किल से ही हासिल किया जा सकता है।  


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