आखिर कैसे गाना गाती हैं व्हेल मछलियां? वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला जवाब
व्हेल मछलियों को लेकर नई स्टडी में अहम खुलासा हुआ है।
क्या आपने समुद्र के विशालकाय जीव व्हेल मछली को गाते सुना है? पानी के नीचे अगर आपको गोताखोरी का मौका मिले तो व्हेल की गुनगुनाहट को सुन सकते हैं। अब वैज्ञानिकों ने इसके पीछे का राज ढूंढ निकाला है। वैज्ञानिक लंबे समय से यह तलाशने में लगे थे कि इस अजीबोगरीब आवाज के पीछे आखिर क्या कारण है। Humpbacks और Baleen Whales इस तरह की आवाज निकालने में ज्यादा एक्सपर्ट हैं। वैज्ञानिकों ने इस राज का तो खुलासा किया लेकिन रिसर्च में एक टेंशन वाली बात भी सामने आई। हम इंसानों की वजह से ये बेचारे प्यारे जीव भी परेशान हो गए हैं।
बैलिन व्हेल के ग्रुप में करीब 14 तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें ब्लू, हम्पबैक, राइट, मिन्क और ग्रे व्हेल शामिल हैं। इन मछलियों में खास बात यह होती है कि इनके दांत नहीं होते बल्कि इसकी जगह प्लेट होती है। इसी के जरिए छोटी-छोटी मछलियों के पूरे झुंड को एक बार में चबा डालती हैं। अब तक वैज्ञानिक यह नहीं पता कर पा रहे थे कि यह जीव अंडरवाटर कैसे गाना गाते हैं। जर्नल नेचर में छपी एक रिपोर्ट में इस पर फोकस किया गया है। रिसर्च से जुड़े प्रोफेसर एलिमंस इसे लेकर काफी एक्साइटेड हैं। उनकी टीम ने मरी हुई व्हेल से निकाले गए तीन गले (Larynxes) के साथ प्रयोग किया, जिन्हें बहुत ही ध्यान के साथ एक व्हेल के कंकाल से निकाला गया था।
शोर से बचने को अपनाती हैं ये रास्ता
शोधकर्ताओं ने इस विशाल ढांचे में से हवा को पास कराया, जिसके बाद एक अलग ही तरह का साउंड आने लगा। इंसानों में आवाज वाइब्रेशन से आती है जबकि व्हेल प्रजातियों में यू-शेप के ढांचे में से आवाज पास होती है। जब कंप्यूटर पर इसकी समीक्षा की गई तो पाया गया कि व्हेल के गाने की आवाज फ्रीक्वेंसी के ओवरलैप होने की वजह से आती है। शोध में यह भी पता चला कि गाना गाना इनके हाथ में नहीं है। ऐसा नहीं है कि ये जब चाहें गा सकती हैं और जब न चाहें तो नहीं गाएंगी बल्कि समुद्र में होने वाले शोर से बचने के लिए ये तेज-तेज गाने लगती हैं।
हम इंसानों ने किया जीना दूभर
हम इंसानों ने धरती का तो कोई कोना छोड़ा ही नहीं है, समुद्र के जीव-जंतु भी हमसे परेशान हो चुके हैं। शोध में यह बात भी सामने आई कि समुद्र में लगातार बढ़ती बोट्स और शोर ने इन व्हेल मछलियों का भी जीना दूभर कर दिया है। ये शोर इतना ज्यादा है कि इन्हें दूर समुद्र में अपने साथियों से बात करने के लिए इसी अजीबोगरीब साउंड का सहारा लेना पड़ता है। यह जानकारी इसलिए भी अहम है क्योंकि इसके जरिए समुद्र में जिन प्रजातियों पर लुप्त होने का खतरा मंडराने लगा है, उन्हें बचाया जा सकता है। दशकों से यह वैज्ञानिकों के लिए पहेली बनी हुई थी।
इतिहास की भी मिली झलक
बीबीसी न्यूज की एक खबर के मुताबिक समुद्री जीवों के लिए यह साउंड बहुत ही जरूरी है, ऐसे में इसे लेकर कोई भी स्टडी होती है तो वह बहुत ही अहम है। शोधकर्ताओं इसलिए भी इसे खास मान रहे हैं क्योंकि इसके जरिए उन्हें इतिहास की भी झलक मिल गई है। इनका मानना है कि इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि व्हेल के पूर्वज धरती से वापस पानी तक कैसे लौटे थे, आपस में कम्युनिकेशन के खास तरीके की वजह से ही यह संभव हो सका था। व्हेल पर यह स्टडी करना ज्यादा आसान है जबकि डॉल्फिन्स, स्पर्म व्हेल्स और अन्य जीव भी ऐसी आवाज निकालते हैं, लेकिन उन पर अभी स्टडी नहीं हो पाई है।
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