कौन हैं नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस, जो बन सकते हैं बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री
बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस
Who is Mohammed Yunus: बांग्लादेश में पिछले महीने से जारी आरक्षण विरोधी आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त काे इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही वे देश छोड़कर भारत आ गईं। वे ढाका से अगरतला के रास्ते भारत पहुंचीं। उनका सी-130 ट्रांसपोर्ट विमान शाम 6 बजे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंचा। इसके बाद एयरबेस पर NSA अजित डोभाल ने करीब 1 घंटे तक उनसे मुलाकात की। इस बीच चर्चा है कि शेख हसीना लंदन या फिनलैंड जा सकती हैं।
हसीना के देश छोड़ते ही बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने कहा कि हम अंतरिम सरकार बनाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी दलों के साथ बैठक कर देश में अंतरिम सरकार का गठन करेंगे। सेना प्रमुख वकार उज जमान ने कहा कि आरक्षण आंदोलन के दौरान जिन लोगों की हत्या हुई है उन्हें न्याय मिलेगा।
आरक्षण विरोधी आंदोलन के काॅर्डिनेटर नाहिद इस्लाम ने मंगलवार सुबह कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा। ऐसे में आइये जानते है कौन हैं मोहम्मद यूनुस जो बनेंगे बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री।
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2006 में मिला नोबेल पुरस्कार
मोहम्मद यूनुस का जन्म 28 जून 1940 को हुआ था। वे बांग्लादेश के एक अर्थशास्त्री, बैंकर, सामाजिक उद्यमी और सिविल सोसायटी के नेता हैं। साल 2006 में उन्होंने ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की। इसके लिए उन्हें 2006 में ही नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यूनुस को नोबेल के अलावा और भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें 2009 में प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम और 2010 में कांग्रेसनल गोल्ड मेडल से नवाजा जा चुका है।
किसानों के लिए की ग्रामीण बैंक की स्थापना
यूनुस ने 1961 से 1965 बांग्लादेश के चटगांव विवि से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने वेंडरबिल्ट विवि से ही अर्थशास्त्र में पीएचडी की। इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश में किसानों को समृद्ध बनाने के लिए ग्रामीण बैंक की स्थापना की और माइक्रो लोन की शुरुआत की। उन्होंने 2007 में नागरिक शक्ति नाम की राजनीति पार्टी भी बनाई। इसके अलावा उन्हें श्रम कानून के उल्लंघन के कारण 6 महीने की सजा भी सुनाई गई थी।
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मोहम्मद यूनुस 2012 में स्काॅटलैंड के ग्लासगो विवि के चांसलर भी रह चुके हैं। वे 2018 तक इस पद पर रहे। इसके अलावा वे 1998 से 2021 तक संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन के निदेशक मंडल के सदस्य के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
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